
ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल के प्रयोग के बाद इसकी दुनिया भर में मांग तेज़ हो गई है।
रूस की स्टेट मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक थाइलैंड, फिलीपींस, ब्रूनई, मलेशिया, इंडोनेशिया, वेनेजुएला, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, कतर, बुल्गारिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे 15 देश ब्रह्मोस में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें बुल्गारिया नाटो सदस्य है।
ब्रह्मोस की रफ्तार 2.8 मैक (आवाज़ की गति से तीन गुना) है, जो 290 से 400 किमी तक मार कर सकती है। इसका वज़न 1260 किलोग्राम है और यह 200–300 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है। यह मिसाइल जमीन, समुद्र और हवा, तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च हो सकती है और ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक पर काम करती है, यानी खतरा भांपकर रास्ता बदल सकती है।
भारत ने 2022 में फिलीपींस को ब्रह्मोस बेचने का समझौता किया था। अब इंडोनेशिया, वियतनाम जैसे देश भी इसे खरीदने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए ब्रह्मोस एशियाई देशों के लिए सुरक्षा कवच बनता जा रहा है।