- जेलों में बंदियों की आत्महत्याओं पर एक्शन में जेलमंत्री!
- प्रमुख सचिव और डीजी जेल को घटनाएं रोकने के दिए निर्देश
- दो माह में आधा दर्जन बंदियों ने की जेल में आत्महत्या
राकेश यादव
लखनऊ। प्रदेश की जेलों में बंदियों के आत्महत्याओं की घटना को जेलमंत्री ने गंभीरता से लिया है। जेलमंत्री ने विभाग के आला अफसरों को बढ़ रही घटनाओं पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया है। बीते करीब दो माह के दौरान करीब आधा दर्जन बंदियों ने जेल के अंदर फांसी लगाकर जान दे दी। आरोप है कि जेल प्रशासन के उत्पीड़न से आजिज आकर इन बंदियों ने अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया।
मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश की जेलों में बंदियों के आत्महत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सूत्र बताते है कि जेलों में बंदियों ने जेल प्रशासन के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की उगाही और उत्पीड़न से अजिज आकर मौत को गले लगा लिया। बीते करीब डेढ़ से दो माह के दौरान करीब आधा दर्जन बंदियों के अंदर अडगढ़े और पेड़ की डाल से फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला को समाप्त कर लिया। जेल अधिकारियों ने बंदी के अवसाद में होने और पारिवारिक दिक्कतों का हवाला देकर इन गंभीर घटनाओं को निपटा दिया। जबकि परिजनों का आरोप है कि जेल प्रशासन के उत्पीड़न और उगाही की वजह से बंदियों को जान देने के लिए विवश होना पड़ा। बरेली, लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, एटा, हरदोई, उन्नाव जेलों में बंदियों के आत्महत्या की घटनाओं से विभाग में हड़कंप मच गया।
सूत्रों का कहना है जेलों में बंदियों के आत्महत्या की बढ़ रही घटनाओं को प्रदेश के कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने गंभीरता से लिया। उन्होंने इस संबंध में प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से बातचीत की। सूत्रों की मानें तो डीजी जेल ने मामले पर अंभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है। इस पर जेलमंत्री ने प्रमुख सचिव से कहा की घटनाओं की जानकारी करके जेल अफसरों को निर्देश दे कि यदि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति हुई तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस निर्देश के बाद विभागीय अधिकारियों में अफरा तफरी मच गई।
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प्रमुख सचिव और आईजी जेल ने अफसरों को लगाई फटकार
प्रदेश के कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान के निर्देश के शासन और जेल मुख्यालय के आला अफसर हरकत में आए। आनन फानन में प्रमुख सचिव/महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह और डीजी पुलिस/आईजी जेल एसएन साबत ने प्रदेश के समस्त डीआईजी जेल, वरिष्ठ अधीक्षक और अधीक्षकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव ने एटा जेल अधीक्षक को इस बात को लेकर फटकार लगाई कि सजायाफ्ता कैदी को सेंट्रल जेल स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया। इसके अलावा अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि जेलों में आत्महत्या की घटनाओं पर अंकुश लगाएं। घटना होने पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस संबंध में प्रमुख सचिव से काफी प्रयास के बाद भी संपर्क भी हो पाया। आईजी जेल ने इसे रूटीन बैठक बताया है। उन्होंने कहा कि हर दो माह में यह बैठक होती है।