रम्भा तीज: इस व्रत को करने से लड़कियों का सकती हैं सुयोग्य वर
रम्भा का वर्णन रामायण काल में भी प्राप्त होता है। रम्भा तीनों लोकों में प्रसिद्ध अप्सरा थी। कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी के रूप में भी रम्भा का वर्णन प्राप्त होता है। रावण द्वारा रम्भा के साथ गलत व्यवहार के कारण रम्भा ने रावण को श्राप भी देती है।
एक कथा अनुसार विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिए जब रम्भा आती हैं तो विश्वामित्र रम्भा को शिला रुप में बन जाने का श्राप देते हैं। फिर एक ब्राह्मण द्वारा रम्भा को शाप से मुक्त प्राप्त होती है।
रम्भा तृतीया पूजन महत्व
रम्भा तीज के दिन दिन विवाहित स्त्रियां गेहूं, अनाज और फूल के साथ चूड़ियों के जोड़े की भी पूजा करती हैं। अविवाहित कन्याएं अपनी पसंद के वर की कामना की पूर्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं। रम्भा तृतीया के दिन पूजा उपासना करने से आकर्षक सुन्दरतम वस्त्र, अलंकार और सौंदर्य प्रसाधनों की प्राप्ति होती है। काया निरोगी रहती है और यौवन बना रहता है।
खड़े होकर करते हैं भगवान की पूजा? भूलकर भी न करें चार गलतियां
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
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