
- कभी बड़े थे सूरमा, आज करारी हार: खुद की सीट भी नही बचा पाए ये स्टार प्रचारक
- इस बार कई केंद्रीय मंत्रियों ने गंवा दी अपनी सीट, दो ने बचाई लाज
- यूपी बीजेपी के सदर रहे और केंद्रीय काबीना मंत्री डॉ. महेंद्र पांडे अपने निकटतम प्रतिद्वंदी चौधरी वीरेंद्र सिंह से चुनाव हार गए हैं।
- केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के सदर राहुल गांधी को हराकर चर्चा में आईं स्मृति ईरानी आज कांग्रेस के ‘मुंशी’ किशोरी लाल शर्मा से चुनाव हार गईं।
- राजधानी लखनऊ से सटे मोहनलालगंज लोकसभा सीट से केंद्रीय राज्य मंत्री रहे कौशल किशोर को करारी हार का सामना करना पड़ा।
- जाट लैंड के बड़े नेता और हिंदूवादी छवि के लिए मशहूर केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान भी अपने सीट नहीं बचा सके।
- फतेहपुर सांसद और केंद्र में यूपी के महिलाओं की नुमाइंदगी करने वाली केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति भी सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से हार गईं।
- बुंदेलखंड के दूसरे मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा भी अपनी सीट नहीं बचा सके। उन्हें नारायण अहिरवार ने करारी शिकस्त दी।
- लखीमपुर सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ‘टेनी” भी समाजवादी पार्टी के उत्कर्ष वर्मा से चुनाव हार गए
ये पार्टी के स्टार प्रचारक थे। केंद्र में मंत्री थे और इनकी गिनती BJP के कद्दावर नेताओं में होती थी।
अपने आसपास की सीटों के साथ-साथ सजातीय जनों से लबरेज लोकसभा सीट पर बैठा जीत की ज़िम्मेदारी भी इन्ही के कंधे पर थी। लेकिन ये अपनी सीट नहीं बचा पाए, इन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। 18वीं लोकसभा चुनाव का परिणाम सबके सामने है। हालांकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। लेकिन BJP खुद बहुमत से करीब 31 कदम दूर रह गई है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि जिस पार्टी के दो काबीना मंत्री और चार राज्य मंत्री चुनाव हार जाएं उसकी समीक्षा करने के लिए कहां कुछ बचा है। केवल इतना कहा जा सकता है कि इसकी ज़िम्मेदारी भाजपा के बड़े नेताओं को लेना चाहिए। उन्हें चिंतन मनन करना चाहिए कि ये गति क्यों हुई?
बात डॉक्टर महेंद्र पांडे की चर्चा करें तो प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए विराट जीत दर्ज करने वाले पांडे पिछले 10 बरसों से सांसद हैं। बतौर मंत्री जनता से न जुड़ पाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। वहीं अमेठी से हारने वाली केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के हार का कारण वहां की जनता उनकी बदजुबानी को ठहरा रही है। वहीं कुछ लोगों ने उनकी हार का ठीकरा भाजपा के अंदरखाने चल रही अंतर्कलह को ठहराया।
इन दो मंत्रियों के अलावा चार राज्य मंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा सके। संजीव बालियान अपने वोटरों को सहेज नहीं पाए तो अजय मिश्र टेनी सरदारों के खिलाफ पसरे आक्रोश को समेट नही पाए और खुद हार गए। इसी तरह साध्वी निरंजन ज्योति और भानु प्रताप सिंह वर्मा भी जनता से कनेक्ट न होने के आराम अपना चुनाव हार गए।
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लाज बचा ले गए दो मंत्री
यूपी से दो राज्य मंत्री पंकज चौधरी और अनुप्रिया पटेल ने अपनी सीट जीतकर भाजपा और मोदी के नेतृत्व का सम्मान जनता के सामने बचाए रखा।