- राष्ट्रीय राजधानी से सटे इस इलाके में मोदी की लहर तो खूब दिख रही है, लेकिन जनता कभी भी कुछ भी कर सकती हैं…
- बुलंदशहरः यहां चलेगा मोदी मैजिक या फिर गठबंधन होगा विजयी, बड़े सवाल का जवाब खोजती नया लुक की यह स्टोरी
राजेश श्रीवास्तव
लखनऊ। राजधानी दिल्ली से महज 64 किलोमीटर दूर बुलंदशहर उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम मुकाम रखता है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं और उत्तर प्रदेश में भी यही हाल है। प्रदेश की बुलंदशहर लोकसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कब्जा है और वह यहां पर 2024 में चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने के इरादे से उतरेगी। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी चुनाव लड़ चुके हैं। यह संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है।
बुलंदशहर सड़क मार्ग के जरिए मेरठ, अलीगढ़, बदायूं, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जिलों से जुड़ा जिला है। इसके पूर्व में गंगा नदी बहती है तो पश्चिम में यमुना नदी। जिले का खुर्ज़ा क्षेत्र चीनी मिट्टी के शानदार काम के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है। जिले के तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें सभी सीटों पर BJP का कब्जा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर संसदीय सीट के चुनाव परिणाम को देखें तो यहां पर मुख्य मुकाबला BJP के भोला सिंह और बीएसपी के योगेश वर्मा के बीच था।
भोला यहां से तत्कालीन सांसद भी थे, जबकि योगेश वर्मा BSP और SP के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। भोला को चुनाव में 681,321 वोट मिले तो योगेश के खाते में 391,264 वोट आए। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी। भोला ने करीब लाख मतों के अंतर (290,057) से यह चुनाव जीत लिया था। तब के चुनाव में बुलंदशहर संसदीय सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 17,59,305 थी, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 9,39,569 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 8,19,635 थी। इसमें से कुल 11,23,629 (64.2%) वोटर्स ने वोट डाले।
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बुलंदशहर सीट का राजनीतिक इतिहास
बुलंदशहर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां 1952 और 1957 के चुनाव में यहां से दो सांसद चुने जाते थे। 1952 में कांग्रेस के टिकट पर कन्हैया लाल बाल्मीकि और रघुबर दयाल विजयी हुए और 1957 के चुनाव में भी यही परिणाम रहा। 1962 से यहां पर एक सीट पर ही चुनाव कराया जाने लगा। 1962 में कांग्रेस के सुरेंद्र पाल सिंह यहां से सांसद बने। 1967 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सांसद सुरेंद्र पाल सिंह को फिर मैदान में उतारा और दूसरी बार विजयी हुए। कांग्रेस के सुरेंद्र पाल ने 1971 में जीत की हैट्रिक लगा दी। हालांकि आपातकाल खत्म होने के बाद 1977 में कराए गए लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर सीट से भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय लोकदल के महमूद हसन खान ने 1977 के चुनाव में जीत हासिल की। हसन ने तीन बार से सांसद रहे सुरेंद्र पाल सिंह को हराया था। फिर 1980 में हसन फिर से चुनाव जीत गए। 1984 में कांग्रेस के टिकट पर सुरेंद्र पाल सिंह फिर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1989 के चुनाव में जनता दल के प्रत्याशी सरवर हुसैन के खाते में यहां से जीत गई। कांग्रेस के सुरेंद्र पाल को इस बार हार मिली। वर्ष 1990 के बाद BJP की ओर से राम आंदोलन चलाए जाने के बाद देश की राजनीति बदल गई और 1991 के चुनाव में BJP को बुलंदशहर सीट पर जीत मिली। BJP के छत्रपाल सिंह लोधा ने 1991 के बाद 1996, 1998 और 1999 में भी लगातार जीत का चौका जमाया। फिर साल 2004 के चुनाव में BJP ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को यहां से उतारा और उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई।
यहां से BJP की यह लगातार पांचवीं जीत रही। 2009 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के कमलेश बाल्मिकी को जीत मिली। इस हार के साथ ही BJP जीत का छक्का नहीं लगा सकी। फिर वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के गठन के लिए कराए गए चुनाव में BJP को मोदी लहर का फायदा मिला और उसके उम्मीदवार भोला सिंह को जीत मिल गई। तब भोला सिंह ने 4,21,973 मतों के अंतर से जीत हासिल की। बीएसपी चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी। वर्ष 2019 में भोला सिंह फिर से यहां पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। BJP यहां से अब तक सात बार चुनाव जीत चुकी है।
जातिगत समीकरण
SC के लिए रिजर्व बुलंदशहर संसदीय सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो यहां पर OBC और अनुसूचित जाति के वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। 2019 के चुनाव के समय यहां पर करीब दो लाख ब्राह्मण और दो लाख के करीब ठाकुर या क्षत्रिय वोटर्स है। जाट बिरादरी के 1.60 लाख, जाटव बिरादरी के 2.20 लाख, लोध बिरादरी के दो लाख वोटर्स यहां पर थे। इनके अलावा करीब तीन लाख मुस्लिम वोटर्स थे। खटीक, वाल्मीकि, गुर्जर, त्यागी, कश्यप, प्रजापति, पाल (गड़रिया) जाति के वोटर्स अच्छी खासी संख्या में रहते हैं।
इस सीट से BJP के सिम्बल पर ही पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी चुनाव जीते थे। अगर इस सीट के इतिहास पर बात करें, तो साल 1952 से 1971 तक यहां हुए पांच चुनाव में कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन साल 1971 के बाद के चुनावों में मतदाताओं ने अलग-अलग पार्टियों को तवज्जो दी। आपातकाल के बाद साल 1977 और 1980 के चुनाव में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। दोनों बार जनता पार्टी से महमूद अली खां चुनाव जीते।
लेकिन साल 1984 में राजीव गांधी की लहर में इस सीट को कांग्रेस ने फिर से जीत लिया। मगर साल 1989 में जनता दल ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इस चुनाव के बाद से कांग्रेस का इस सीट पर लगातार ग्राफ गिरता चला गया। देश में उठी राम लहर के बाद साल 1991 में BJP पहली बार इस सीट पर चुनाव जीती और साल 2004 तक यहां उसने अपना कब्जा लगातार बनाए रखा। इसके बाद इस सीट का परिसीमन बदल गया और वर्ष 2009 में ये सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। परिसीमन के बाद हुए पहले ही चुनाव में इस सीट पर सपा ने जीत दर्ज की।लेकिन BJP के भोला सिंह ने साल 2014 और 2019 में इस सीट को बड़े अंतर से जीतकर बरकरार रखा है। अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस ने छह बार इस सीट को जीता है। जबकि BJP 7 बार यहां अपना सांसद बना चुकी है। दो बार जनता पार्टी और एक-एक बार जनता दल (JD) और सपा (SP) का सांसद बना है।
आपको बता दें कि बुलंदशहर लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें अनूपशहर, बुलंदशहर, डिबाई, शिकारपुर और स्याना शामिल है। साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी पांच सीटें BJP ने जीती हैं। मोदी-योगी की लहर में तमाम विपक्षी दल चुनाव में तिनके की तरह उड़ गए। लोकसभा क्षेत्र की एक भी विधानसभा सीट पर विपक्ष जीत दर्ज नहीं कर पाया। किसान आंदोलन के बावजूद भी सपा-आरएलडी का गठबंधन यहां कोई करिश्मा नहीं कर सका।
बुलंदशहर सुरक्षित लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-14 है। मगर ये मुस्लिम, लोधा, दलित, जाट और ब्राह्मण बहुल सीट मानी जाती है। जबकि वैश्य, त्यागी, गुर्जर, राजपूत और अन्य ओबीसी मतदाताओं की भी इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका है। ओबीसी के तहत आने वाली बिरादरी यहां निर्णायक हैं। आरक्षित होने के बाद हुए पिछले तीन चुनाव में एक बार सपा इस सीट पर जीती है, जबकि दो बार से BJP का कब्जा है। भोला सिंह और BJP के पास के इस बार यहां जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। इस सीट पर पिछले एक दशक से BJP का सांसद है।
दो टूकः 400 पार का दावा, फिर भी गठबंधन पर फोकस, BJP की कमजोरी या खेल
फिर से भाजपा ने भोला सिंह पर ही दांव चला है जबकि कई बार यूपी में सरकार बनाने वाली बसपा का यहां लोकसभा में खाता नहीं खुल पाया है। हर बार प्रत्याशी बदलने वाली बसपा ने इस बार नगीना सुरक्षित सीट के अपने सांसद गिरीश चंद्र जाटव को चुनावी मैदान में उतारा है।।। इंडिया गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में शिवराम वाल्मीकि पर दांव खेला गया है।
बुलंदशहर में मतदाता बोले- इस बार जातिवाद पर नहीं, स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दे पर करेंगे वोट
मतदाता आबिद ने कहा कि इस सरकार में अच्छा काम हो रहा है। रोजगार मिल रहा है, क्राइम कम हुआ है। भ्रष्टाचार पर काम हुआ है। मतदाता राजेंद्र ने कहा कि इस सरकार में काफी सुधार हुआ है, इस सरकार ने पेंडिग कामों को निपटाया है। इस सरकार में राम मंदिर का निर्माण हुआ है। गुंडागर्दी भी काफी कम हुई है। सड़कों का अच्छा निर्माण हुआ है। बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है, किसान सम्मान निधि आ रही है। मतदाता विवेक सैनी ने कहा कि इस सरकार में गरीबों के लिए आयुषमान योजना, उज्जवला योजना आई है। सांसद के प्रयासों से शहर में पासपोर्ट केंद्र शुरू हो गया है। जम्मू जाने के लिए बुलंदशहर में ट्रेन का ठहराव हो रहा है। सड़कों बेहतर हो गई हैं। उन्होंने कहा कि वोट यहां पर विकास और रोजगार पर हो रहा है। इस सरकार में विकास साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
मतदाता मो। अनस ने कहा कि हिदू-मुस्लिम के बीच मनमुटाव दूर होना चाहिए। जातिवाद की बात नहीं होनी चाहिए। एक मतदाता योगगुरु राजकुमार भारती ने कहा कि पूरे यूपी का सेलेब्स एक होना चाहिए। मध्यमवर्ग का लोग बच्चों को क्या पढ़ाएगा? उन्होंने कहा कि ठेकेदारी प्रथा आ गई है। अस्पतालों का बुरा हाल है, एक भी डॉक्टर नहीं मिलता। स्वास्थ्य और एजुकेशन हम भूलते जा रहे हैं। हमारे सांसद जी वोट मांगने के अलावा कभी दिखाई नहीं देते। वो हमारे दुख या गम में नहीं दिखते। राजकुमार भारती ने कहा कि स्वास्थ और शिक्षा को हम भूलते जा रहे हैं। अब लोग जातिवाद पर वोट नहीं देंगे। अब लोग जातिवाद पर वोट नहीं देंगे। पांच साल में हमारे सांसद यहां झांकने तक नहीं आए। वो सिर्फ वोट मांगने आते हैं। मतदाता ने युवाओं और लोगों से अपील की है कि जातिवाद से ऊपर उठकर एजुकेशन और हेल्थ को प्राथमिकता पर लेकर वोट करें। बुलंदशहर में सड़कों का हाल बुरा है। स्कूलों में जमकर उगाही चल रही है। सरकार को शिक्षा के स्तर में सुधार करना चाहिए।
मतदाता विवेक सैनी ने कहा कि सरकार ने काफी काम किया है। बुलंदशहर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काम किया है, पहले जिले में मेडिकल कॉलेज नहीं था, लेकिन आज मेडिकल कॉलेज है। आयुषमान योजना से गरीबों को फायदा हो रहा है। हां, एजुकेशन की तरफ और ध्यान देने की जरूरत है। नेताओं के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने चाहिए। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर से भारतीय जनता पार्टी जीती थी। भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में डॉ। भोला सिंह को मौका दिया है। वहीं कांग्रेस ने शिवराम वाल्मीकि को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने गिरीश चंद्र जाटव पर भरोसा जताया है।
कुल मतदाता
लोकसभा चुनाव 2024 में बुलंदशहर सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 76 हजार 567 है। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 45 हजार 340 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8 लाख 31 हजार 100 है। वहीं ट्रांसजेंडर वोटर 127 हैं।
एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
बुलंदशहर सुरक्षित लोकसभा सीट के साल 2019 के चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर BJP के भोला सिंह ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। भोला सिंह ने बसपा के योगेश वर्मा को एक तरफा मुकाबले में करीब 2 लाख 90 हजार मतों के अंतर से हराया था। भोला सिंह को कुल 6 लाख 81 हजार 321 वोट मिले थे। जबकि बसपा के योगेश वर्मा को 3 लाख 91 हजार 262 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के बंसी सिंह थे। जिनको 29 हजार 465 वोट मिले थे।
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एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
बुलंदशहर सुरक्षित सीट पर साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर BJP से भोला सिंह ने बसपा के प्रदीप कुमार जाटव को चार लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से हराया था। भोला सिंह को कुल छह लाख चार हजार 449 वोट मिले थे। जबकी BSP के प्रदीप कुमार जाटव को एक लाख 82 हजार 476 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे सपा उम्मीदवार कमलेश वाल्मीकि को एक लाख 28 हजार 737 वोट मिले थे।
एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
साल 2009 में बुलंदशहर सुरक्षित लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के कमलेश वाल्मीकि ने जीत दर्ज की थी। कमलेश ने BJP के दिग्गज नेता अशोक कुमार प्रधान को हराया था। सपा के कमलेश को 2 लाख 36 हजार 257 वोट मिले थे।जबकि BJP के अशोक कुमार प्रधान को 1 लाख 70 हजार 192 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी राज कुमार गौतम को 1 लाख 42 हजार 186 वोट मिले थे।
एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
अगर बात साल 2004 के लोकसभा चुनाव की करें, तो बुलंदशहर सीट से BJP प्रत्याशी कल्याण सिंह ने जीत दर्ज की थी कल्याण सिंह ने RLD प्रत्याशी बदरुल इस्लाम को नजदीकी मुकाबले में हराया था। कल्याण सिंह को कुल 2 लाख 58 हजार 184 वोट मिले थे। जबकि RLD प्रत्याशी बदरूल इस्लाम को 2 लाख 41 हजार 633 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर रहे BSP के देवेंद्र भारद्बाज को एक लाख 19 हजार 104 वोट मिले थे।