डॉ उमाशंकर मिश्रा
बृहस्पति ग्रह को देव गुरु कहा जाता है। जन्म कुंडली में इसके कमजोर होने पर व्यक्ति को कई प्रकार के कष्ट भुगतने पड़ते हैं। वह न तो धन कमा पाता है, न ही उसे वैवाहिक जीवन का सुख ही मिलता है। और तो और वह नौकरी में किसी उच्च पद पर भी नहीं पहुंच पाता है। इसलिए कुंडली में गुरु को हमेशा मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। इस ग्रह का पीला रंग, आर्थिक स्थिति, व्यक्ति के पाचन तंत्र और वाणी, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राहमण और संस्कारों के साथ वधु विवाह पर भी नियंत्रण रहता है। इसलिये गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है।
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक है। महिलाओं के विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति की स्थिति से ही तय होती है। जब यह कमजोर होता है तो सोने की कोई चीज खो जाती है या गिरवी रखनी पड़ती है या फिर बेचना पड़ता है। व्यक्ति के द्वारा पूजा या धार्मिक क्रियाओं का अनजाने में ही अपमान होता है या कोई धर्म ग्रंथ नष्ट होता है।
वृहस्पति के कमजोर पड़ने से सिर के बाल कम होने लगते हैं अर्थात व्यक्ति गंजा होने लगता है, दिया हुआ वचन पूरा नहीं होता है, तथा असत्य बोलना पड़ता है। व्यक्ति के संस्कार भी कमजोर होने लगते हैं। विद्या और धन प्राप्ति में व्यवधान के साथ साथ पाचन तंत्र गड़बड़ विवाह और संतानजनित परेशानियां होने लगती हैं। लेकिन वृहस्पति बलवान और शुभ फलदाई होता है तो व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी बनता है। अपार मान सम्मान पाता है उसके ऊपर दैवी कृपा रहती है और ऐसे लोग धर्म, कानून, कोश या बैंक में देखे हैं।
उपायः अगर बृहस्पति खराब है तो इसका व्रत करें। केले का पूजन करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। जल हल्दी से सूर्य को अर्घ्य दें। सूर्योदय से पूर्व गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें। सनद रहे सभी उपाय कुंडली में वृहस्पति को स्थिति देख कर ही उपाय करें। अनजाने में कोई उपाय न करें।
लेखक यूपी के मशहूर ज्योतिषाचार्य हैं, इनसे 94150 87711 पर सम्पर्क किया जा सकता है…