राजेश श्रीवास्तव
देश का एक राज्य मणिपुर इन दिनों झुलस रहा है। लेकिन ऐसा लगता है कि मानो मणिपुर अपने देश में न होकर किसी दूसरे राज्य का हिस्सा है। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री इस राज्य को पिछले 6० दिनों से हिंसा की आग में झुलसते देखने के बावजूद खामोश हैं। एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित एक खबर के खुलासे के बाद तो किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री की कुसी चली ही जानी चाहिए थी, या यूं कहें कि खुद मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। लेकिन न मुख्यमंत्री वीरेेन की नैतिकता जाग रही है और न प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की आक्रामकता। उधर भाजपा समर्थित लोग यह दलील दे रहे हैं कि पोस्ता आदि नशीले पदार्थ की खोती करने वाले लोगों से निपटने के लिए सरकार ने कदम उठाये जिसके बाद इस हिंसा ने जन्म लिया और लोग इस पर प्रलाप कर रहे हैं।
पहले बात अखबार में प्रकाशित नयी रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर में कई महिलाएं इस तरह की घटना से प्रभावित हुई हैं। खुद वायरल वीडियो में जिस महिला के साथ बर्बरता की पराकाष्ठा होते दिखाया गया है उसने कहा कि उस दिन पांच महिलाओं के साथ रेप हुआ और उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। यह घटनाएं बताती हैं कि सरकारें कुछ भी दलील दें लेकिन मणिपुर में सरकार और कानून नाम की चीज खत्म हो गयी है। 77 दिन पुरानी घटना, 48 दिन बाद प्राथमिकी और अब सुप्रीम कोर्ट और देश भर में हंगामा मचने के बाद महज चंद गिरफ्तारी। यह बताती हैं कि सरकार ने खामोशी की चादर ओढè ली है क्योंकि उसे पता है कि उसकी कुर्सी सुरक्षित है। जब प्रधानमंत्री ने ही खामोशी ओढ़ ली हो तो उनका मुख्यमंत्री तो स्वतंत्र होगा ही। जब वीडियो वायरल हुआ और देश भर में हंगामा मचा। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगायी। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो हम करेंगे। तो प्रधानमंत्री की नींद टूटी। उन्होंने संसद में 8 मिनट से ज्यादा के संबोधन में 26 सेंकड इस घटना पर बोलकर जता दिया कि उनका मन व्यथित है। लेकिन प्रधानमंत्री ने यह नहीं बताया कि वह वहां की सरकार पर क्या कार्रवाई करेंगे। उन्होंने अपने गृहमंत्री अमित शाह से भी नहीं पूछा कि आखिर मैनपुरी सुलग रहा था तो आपने बताया क्यों नहीं। इतनी बड़ी घटना की प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद राज्य के गृह विभाग से लेकर देश के गृह विभाग तक किसी को घटना की गंभीरता क्यों नहीं समझ आयी। क्यों नहीं अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री से कानून-व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी। जैसे वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मांगी। इस पूरी घटना पर प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद वहां की राज्यपाल की आत्मा जागी और उन्होंने वहां के डीजीपी को बुलाकर कार्रवाई करने को कहा और कहा कि मैने जिंदगी में इतनी बड़ी घटना नहीं देखी, अरे देखूंगी कहां से जब हुई ही नहीं।
बात-बात पर कांग्रेस को कोसने वाले प्रधानमंत्री को कम से कम कांग्रेस से मणिपुर पर तो सीख लेनी ही चाहिए थी कि कांग्रेस ने वहां पर किस तरह से निबटा था। मणिपुर के मुख्यमंत्री पर आखिर कब कार्रवाई होगी ? दोषियों को कब फांसी पर चढ़ाया जायेगा ? मणिपुर में राष्ट्रपति शासन कब लगेगा ? वहां अपनी बहू-बेटियों की इज्जत बचाने में जुटे लोगों को कब न्याय मिलेगा ? यह सब सवाल इन दिनों पूरे देश के मन-मस्तिष्क पर कौंध रहे हैं। पूरा देश प्रधानमंत्री की ओर मुंह ताक रहा है और प्रधानमंत्री कांग्रेस के भ्रष्टाचार बता रहे हैं। वह 24 की चुनावी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। लेकिन 24 के चक्रव्यूह में जो चार लड़कियों का चीर हरण हो गया वह सरकार को नहीं दिख रहा न ही उसकी गंभीरता। क्यों नहीं प्रधामंत्री या अमित शाह मणिपुर जा रहे हैं, देश जानना चाहता है। प्रधानमंत्री जी बताइये कि आखिर आपको अपने मुख्यमंत्री से इतना लगाव क्यों है अगर आप नहीं जा सकते तो कम से कम उसको ही दिल्ली तलब करके पूछिये कि इतनी बड़ी घटना की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी तो जो गिरफ्तारी उसने अब की है वह पहले क्यों नहीं की। मतलब साफ है कि अगर यह वीडियो वायरल न होता तो आरोपी खुलेआम घूमते रहते और न जाने कितनी और महिलाओं व लड़कियों की अस्मत तार-तार होती रहती। वह तो भला हो वीडियो वायरल करने वाले का। कहा जा रहा है उसे भी मौत के घाट उतार दिया गया है। प्रधानमंत्री जी, जनता अभी आपकी चाह में पागल है लेकिन उसे बदलते देर नहीं लगती, अभी भी समझिये ।