
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ की टिप्पणी को लेकर मानहानि का दोषी ठहराए जाने के मामले में निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगाने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उच्च न्यायालय ने सात जुलाई को मानहानि मामले में गांधी के दोषसिद्धि को निलंबित करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। गांधी की वर्ष 2019 की यह टिप्पणी कि ‘सभी चोरों के उपनाम मोदी क्यों होता है” के लिए निचली अदालत ने मानहानि का दोषी माना था और दो साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले को गांधी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
इससे पहले 12 जुलाई को कांग्रेस नेता के खिलाफ गुजरात के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी ने उच्चतम न्यायालय में एक ‘कैविएट’ दायर की थी। मोदी की मानहानि की शिकायत के बाद अदालत ने गांधी को दोषी ठहराया था। इसकी वजह से गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। भाजपा विधायक ने शीर्ष अदालत में कैविएट दायर कर गुहार लगाई थी कि यदि गांधी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हैं तो सुनवाई करते समय उनका (शिकायत करने वाले) पक्ष भी सुना जाए। मानहानि का यह मामला 2019 का है। इस मामले में 23 मार्च 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गांधी को मानहानि के अपराध के लिए दोषी ठहराया था। इस अपराध के लिए उन्हें अधिकतम दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।(वार्ता)