सुयोग्य वर और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस व्रत का है खास महत्व

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


हिंदू धर्म में आषाढ़ माह की पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। आषाढ़ पूर्णिमा कई मायनों में खास है, इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा, गुरु की उपासना के अलावा कोकिला व्रत भी किया जाता है। कोकिला व्रत को करने से जहां विवाहित लोगों का दांपत्‍य जीवन खुशहाल होता है। वहीं अगर कुंवारी कन्‍याएं इस व्रत को भगवान शिव जैसा सुयोग्‍य वर प्राप्‍त करने के लिए करती है।इस साल कोकिला व्रत 2 जुलाई 2023 को रखा जाएगा। इस दिन देवी सती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यात है कि कोकिला व्रत के प्रभाव से विवाहिता को अखंड सौभाग्य और कुंवारी कन्या को उत्तम पति मिलता है।

 

कोकिला व्रत की तिथि

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि शुरू – 2 जुलाई 2023, रात 08.21

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त – 3 जुलाई 2023, शाम 05.28

पूजा मुहूर्त – रात 08.21 – रात 09.24

कोकिला व्रत का महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार देव सती को कोयल का रूप माना जाता है। मान्यता है कि देवी सती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कोकिला व्रत किया था। इस व्रत के द्वारा मन के अनुरूप शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शादी में आ रही किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो इस व्रत का पालन करने से विवाह सुख प्राप्त होता है।

 

कोकिला व्रत की पूजा विधि

कोकिला व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।  फिर भगवान भोलेनाथ को पंचामृत का अभिषेक करें और गंगाजल अर्पित करें। भगवान शिव को सफेद और माता पार्वती को लाल रंग के पुष्प, बेलपत्र, गंध और धूप आदि का उपयोग करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और दिन भर निराहार व्रत करें। सूर्यास्त के बाद पूजा करें और फिर फलाहार लें। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। अगले दिन व्रत का पारण करने के पश्चात ही अन्न ग्रहण किया जाता है।

 

कोकिला व्रत की कथा

एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया। इस यज्ञ में सब देवताओं को आमंत्रित किया गया था परन्तु अपने दामाद भगवान शिव को उन्होंने आमंत्रित नहीं किया। जब सती को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने पति भगवान शंकर से मायके जाने का इरादा प्रकट किया। शंकर जी ने बिना निमंत्रण वहाँ जाने के लिए मना किया परन्तु जिद्द करके सती मायके चली गई। मायके में पहुँचकर सती का घोर अपमान व अनादर किया गया। इस कारण सती प्रजापति के यज्ञ कुण्ड में कूद कर भस्म हो गई। भगवान शंकर को जब सती के भस्म होने का समाचार मिला तो वे क्रोध में भर गये। भगवान शिव जी ने वीर भद्र को प्रजापति दक्ष को मारने का आदेश दिया। इस विप्लव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने प्रयास किया। भगवान आशुतोष का क्रोध शान्त हुआ परन्तु आज्ञा का उल्लंधन करने वाली अपनी पत्नी सती को दस हजार वर्ष तक कोकिला पक्षी बनकर विचरण करने का श्राप दे डाला। सती कोकिला रूप में नन्दन वन में दस हजार वर्ष तक रहीं। इसके बाद पार्वती का जन्म पाकर, आषाढ़ मास में नियमित एक मास तक यह व्रत किया जिसके परिणाम स्वरूप भगवान शिव उनको पुनः पति के रूप में प्राप्त हुए।

Religion

यदि घर के अंदर ऐसे रखे जाएँगे गणेश जी तो घर में नहीं आएगी विघ्न, बाधा, दूर हो जाएँगे सभी कष्ट

घर में कैसे रखे गणेश की मूर्तिः वास्तु अनुसार करें गणपति की स्थापना सुख, शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों को सफेद रंग के विनायक की मूर्ति लाना चाहिए डॉ. उमाशंकर मिश्र ‘शास्त्री’ गणपति को पुराणों में विघ्नकर्ता और हर्ता दोनों कहा गया है। ऐसे में गणेश जी की मूर्ति घर में है तो आपको […]

Read More
Religion

जीवन में रामत्व: केवल राम के आदर्शों को जीवन में शामिल करके आप बन सकते हैं सफल

राम का जीवन आम जनमानस के समक्ष ऐसे आदर्श के छाप, संदेश और उदाहरण से भरा हुआ है बच्चों को राम के जीवन से राम के आदर्शों से प्रेरणा दें जिससे वो भारतीय होने पर गर्व कर सकें ऋचा सिंह वर्तमान में युवा और बच्चों को राम के जीवन से सीख लेनी चाहिए कि हमें […]

Read More
Religion

जन्म के महीने से भी जाना जा सकता है स्त्रियों का स्वभाव

राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद वैसे स्त्रियों के बारे में भविष्यवाणी करना आसान नहीं होता। कहां भी जाता है त्रिया चरित्र समझ पाना बहुत टेढ़ी खीर है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र केवल भविष्य को लेकर सजग नहीं करता। यह ऐसा विज्ञान है जो इंसान की प्रवृत्ति, प्रकृति और उसके स्वभाव को भी बयां कर देता है। […]

Read More