- कहीं पर मीडियाकर्मी बनकर तो कहीं पर वकील के भेष में बदमाशों ने दिया घटना को अंजाम
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। बावन दिन… पुलिस अभिरक्षा में दो गोलीकांड… तीन हत्याएं…। यानी अप्रैल और जून महीने गोलियां तड़तड़ाई गोलियां।
सूबे में अवैध असलहों से गोलियों की बौछार आम बात हो चली है, लेकिन अप्रैल 2023 और सात जून 2023 में तो सारी हदें पार हो गईं।
बेखौफ बदमाशों के दुस्साहस पर गौर करें तो पुलिस सुरक्षा के बीच गोलियां गरजीं और पुलिस है कि खामोश बैठी नजर आई।
बदमाशों के दुस्साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने प्रयागराज जिले के कॉल्विन अस्पताल के बाहर 15 अप्रैल 2023 पुलिस अभिरक्षा के बीच माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ़ के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत के घाट उतार दिया।
इस सनसनीखेज वारदात को लोग भुला भी नहीं पाए थे कि जेल में बंद मुख्तार के शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ की अदालत परिसर में सात जून 2023 वकील के भेष में होकर जौनपुर निवासी विजय उर्फ आनन्द यादव ने गोलियों से भून दिया। प्रयागराज और राजधानी लखनऊ में बदमाशों ने जिस तरह पुलिस अभिरक्षा के बीच माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ़ एवं कुख्यात बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को मौत की नींद सुलाया, इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं न कहीं सुरक्षा में लगी पुलिस लापरवाह रही।
,,, जरायम की दुनिया में आने का , पर जाने का नहीं,,,
कहते हैं कि जुर्म की दुनिया में आने का रास्ता तो है, लेकिन जाने का नहीं। गाजियाबाद निवासी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या को पुलिस इसी नज़र से देख रही है। छोटी सी उम्र उसने यूपी ही उसके बाहर तक संगीन अपराध कर नाम लूटने की कोशिश की, लेकिन दूसरों के ऊपर गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुलाने वाला कुख्यात बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा खुद भी गोली का निशाना बना। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जीवा हत्याकांड से जुड़ी अहम कड़ियां रिमांड पर लिए गए विजय से मिल गई है। सिर्फ कुछ कड़ियां बाकी है, जिन्हें जोड़कर इस सनसनीखेज मामले का खुलासा किया जाएगा कि इस हत्याकांड में किन लोगों का अहम रोल है।