कविता : हाथ कंगन को आरसी क्या

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

हाथ कंगन को आरसी क्या,
पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या,
सरकार आरक्षण दे या न दे,
जातीय वर्गीकरण ख़त्म करे।

सत्य साहस यदि जुटा लेता है,
सारी व्यवस्था सुधर जाएगी,
हम सब में सामाजिक समरसता,
व समन्वयता फिर आ जाएगी।

बहुत भाग्यशाली होते हैं लोग,
जिनकी खुशहाली की हँसी में,
खुश हो कोई शामिल होता है,
प्राय: लोगों का दिल जलता है।

एक उँगली कोई किसी पे उठाता है,
ख़ुद की चार उँगलियाँ अपनी ओर
अपने आप स्वयमेव चली जाती हैं,
जो निज चरित्र को इंगित करती हैं।

क्षमता में ताक़त छिपी होती है,
ताक़त है तो सत्ता बनी रहती है,
परंतु सत्ता भी बदलती रहती है,
सत्ता की शक्ति अस्थायी होती है।

आदित्य बस यह सत्य ही स्थायी है,
फिर ताक़त और सत्ता से क्या डर,
सत्य पे भरोसा अडिग होना चाहिये,
सत्य की राह निडर चलना चाहिये।

 

Litreture

प्रेम का भूत (लघुकथा), जानिए कैसे उतरा शादीशुदा युवक के सिर से प्रेम का भूत

लेखक सुरेश चंद्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ समीक्षक- डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी कहानीकार शरद आलोक ने शादीशुदा होने के बावजूद, पराई स्त्री पर डोरे डालने की हसरत रखने वाले राहुल नाम के युवक के सिर से आशिकी का भूत उतारने की घटना की इस लघु कथा में चर्चा की है। कथानक मे राहुल और आर्यन […]

Read More
Litreture

प्रवासी भारतीय सुरेश चंद्र शुक्ल ‘ शरद आलोक’ नार्वे के ओस्लो शहर मे रहते है। भारत की हर राजनैतिक सामगजिक गतिविधियों पर इनकी नजर रहती है।

प्रवासी भारतीय सुरेश चंद्र शुक्ल ‘ शरद आलोक’ नार्वे के ओस्लो शहर मे रहते है। भारत की हर राजनैतिक सामगजिक गतिविधियों पर इनकी नजर रहती है। शिक्षक,पत्रकार,संपादक,कवि,कहानी कार है। इनके सद्य:प्रकाशित काव्य संग्रह ” जन मन के गांधी पर समीक्षा भारतीय समालोचक डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी ने किया। जन मन के गांधी:कवि-सुरेशचंद्र शुक्ल’ शरद […]

Read More
Litreture National

बुझता दिया तेल की बूंदे पा गया !

के. विक्रम राव  आज (29 मई 2024, बुधवार) मेरे 85 बसंत पूरे हो गए। कई पतझड़ भी। कवि कबीर की पंक्ति सावधान करती है, जब वे माटी से घमंडी कुम्हार को कहलाते हैं : “एक दिन ऐसा आएगा, जब मैं रौंदूगी तोय।” चेतावनी है। मगर आस बंधाती है शायर साहिर की पंक्ति : “रात जितनी […]

Read More