लखनऊ। नियमों व आवश्यकताओं के बीच खोखला पन मैं लेफ़्टिनेंट कर्नल ए एस मिश्र, सेना डाक सेवा से 36 साल सात महीनें सोलह दिन की सेना की वर्दी में बेदाग़ सेवा, आर्मी रूल, आर्मी ऐक्ट व डिफेंस सर्विस रेगुलेशन के तहत सेवा करके 31 जुलाई 2009 को सेवा निवृत हुआ था। मुझे डिसेबिलिटी पेंशन के लिये AFT लखनऊ में केस करना पड़ा क्योंकि रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले एजी ब्रांच ने मुझे डिसेबिलिटी पेंशन देने से इंकार कर दिया था । पर मुझे AFT से न्याय मिला, लेकिन तमाम जद्दो ज़हद के बाद।
इन खोखले नियमों व सोच की वजह से मेरे जैसे बहुत से पूर्व सैनिक जो सेना सेवा के दौरान बीमारियों की वजह से जीवन भर के लिये रोग ग्रस्त हो गये। उन्हें भी इसी जद्दो ज़हद और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे ही एक और जद्दो ज़हद व मानसिक तनाव की लड़ाई से सेना डाक सेवा के अनेक वेटेरंस जूझ रहे हैं। जिन्हें सेना की ECHS (एक्स सर्विसमेन कंट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम) के द्वारा 15 नवम्बर 2022 से उनके उपचार की सुविधा से रोक दिये जाने की वजह से हो रहा है। जिन सैनिकों व अधिकारियों ने 35-40 साल तक सेना में सेवा की उन्हें यह कह कर उनके ECHS स्मार्ट कार्ड नवीनीकृत नहीं किये जा रहे हैं कि उनकी पेंशन डिफेंस सर्विस एस्टिमेट से नहीं मिलती है बल्कि केंद्र सरकार के सिविल बजट से मिलती है।
जब कि सन् 2004 में जब यह स्कीम लागू की गई थी। तो सेना डाक सेवा से सेवा निवृत होने वाले सभी अधिकारियों व सैनिकों को अनिवार्य रूप से कंट्रीब्यूशन लेकर लागू की गई थी और अभी तक यह मेडिकल सेवा/सुविधा निर्बाध रूप से मिल रही थी। अचानक इस पर रोक लगाकर रक्षा मंत्रालय ने ECHS और सेना अस्पतालों से उन वरिष्ठ सैनिकों व उनकी पत्नियों की यह सुविधा बंद कर दी गई जो अब साठ साल से लेकर सौ साल की उम्र के पड़ाव में पहुँच चुके हैं। न उन्हें सेना अस्पतालों में और न ही ECHS के पॉलीक्लिनिक में या उसके इम्पेनल्ड अस्पतालों में उपचार मिल रहा है। जिन वेटेरंस के पास ECHS के 16/32 केबी के स्मार्ट कार्ड हैं उन्हें दिसंबर 2018 में रिन्यू करके 64 केबी के कार्ड में अपग्रेड करने के आदेश हुये, एप्लीकेशन व फ़ीस ले ली गई। परंतु उनके कार्ड रिन्यू नहीं किये जा रहे क्योंकि ECHS के कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में इन वेटेरंस के लिये प्रावधान नहीं किया गया और पिछले चार साल से ये वयोवृद्ध पूर्व सैनिक दर दर भटकने के लिए मजबूर कर दिये गये हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में ऊँची फ़ीस देकर इलाज करवा रहे, बाज़ार से महँगी दवा ख़रीदने को मजबूर कर दिये गये हैं। 2017 के बाद सेवानिवृत होने वाले इन सैनिकों को ECHS स्मार्ट कार्ड देने के लिए भी मना कर दिया गया है। जबकि जिन्हें डिसेबिलिटी पेंशन मिलती है उनके कार्ड रिन्यू किए गये पर उनमें से किसी को सुविधा मिल रही है। किसी को नहीं।
अपने ही बनाये क़ानून व आदेश को रक्षा मंत्रालय नहीं मान रहा है और इस प्रकार का अमानवीय व्यवहार अपने सेवानिवृत सैनिकों के साथ कर रहा है।
ऐसे नियमों की विचित्रता तो देखिए कि जो सैनिक सेवा में हैं उनके पूरे परिवार, माता, पिता व उन पर निर्भर ग़ैर सैनिकों को यह मेडिकल सुविधा तो सेना अस्पतालों से दी जा रही है। जिन्होंने कभी सेना का सावधान, विश्राम भी नहीं देखा और वहीं उन वयोवृद्ध पूर्व सैनिकों को सेवा सुविधा से वंचित कर दिया गया है। जिन्होंने पूरा जीवन सेना सेवा व देश की रक्षा में समर्पित कर दिया है। यहाँ तक कि आश्चर्यजनक रूप से जो सैनिक जीवन भर सेना सेवा में रहा उसे यह सुविधा बंद कर दी गई वहीं उसके बड़े या छोटे भाइयों को यह सुविधा सेना दे रही है जिन्होंने कभी सेना का मुँह नहीं देखा क्योंकि उनके बेटे या बेटी सेना में सेवा रत हैं । यह नियमों का कितना बड़ा खोखला पन है। इन अभागे पूर्व सैनिकों की कोई कहीं सुनवाई पिछले कई साल से नहीं हो रही है और अब तो मेडिकल की सुविधा 18 जनवरी 2023 से बंद करने का आदेश अन्यायपूर्ण तरीक़े से ECHS निदेशालय ने जारी कर दिया है। ये अनुशासित पूर्व सैनिक कहाँ जायें, यह समझ नहीं पा रहे हैं ।