मातृभाषा में शिक्षण पर राज्यपाल का जोर

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने मातृभाषा में शिक्षण पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषा विश्वविद्यालय मातृभाषा में सभी विषयो की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के कार्य के लिए आगे आएं।  ज्ञान का आधार अंग्रेजी भाषा नही है। अंग्रेजी माध्यम की शिखा सिर्फ एक सोच है। समाज को इस सोच से बाहर लाने के लिए मातृभाषा में पाठ्यक्रमों के विकास पर ध्यान दें। उन्होंने विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति से जुड़कर रहने के लिए कहा। कहा कि सफलता प्राप्त करने के बाद जीवन में अपने माता-पिता को अकेला या वृद्धाश्रमों में न छोड़े। उनके योगदान को याद रखें और वृद्धावस्था में अपने साथ रखें।

उन्होने कहा कि आंगनबाड़ी से विश्वविद्यालय तक की शिक्षा में एक तारतम्य होना चाहिए। इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों का सुविधा-सम्पन्न होना भी जरूरी है। जिससे गाँवों के बच्चे केन्द्र पर आने और पढ़ने में रूचि लें।  उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा केन्द्र पर समारोहों में बुलाने को भी महत्वपूर्ण बताया।  कहा कि उच्च शिक्षा केन्द्र में आकर बच्चों को शिक्षा के प्रति आकर्षण और प्रगति की प्रेरणा प्राप्त होती है। राज्यपाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन मटकी में जलधारा प्रवाहित करके ‘जल संरक्षण‘ के संदेश के साथ किया।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय वर्ष भर में जितने जल का उपयोग करते हैं, उतने जल संरक्षण का प्रभावी प्रयास करें। उन्होंने  देश में मोटे अनाज के घटते उत्पादन और प्रयोग पर भी चिन्ता व्यक्त की। स्वास्थय की दृष्टि से इनके लाभाकारी होने पर चर्चा करते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार करने को कहा। राज्यपाल ने देश में हो रही जी-20 देशों की बैठकों की ओर भी ध्यानाकर्षित कराते हुए कहा कि पहली बार भारत को इन बैठकों का नेतृत्व मिला है। विश्वविद्यालयों को भी अपने प्रदेश में होने वाली इन बैठकों के दृष्टिगत अपनी प्रतिभागिता करनी चाहिए।

मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने भाषाओं के विस्तृत महत्व पर चर्चा करते हुए सभी भारतीय भाषाओं को परस्पर सम्बद्ध बताया। उन्होंने कहा कि हमारी भाषाएं अनेकता में एकता के सूत्र से बंधी हैं। भाषाएं हमे परस्पर जोड़ती हैं। भारत की एकता, आत्मीयता का साधन भाषा ही है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है। शिक्षा का कभी अंत नही होता।राज्यमंत्री रजनी तिवारी ने भी इस समारोह में सभी उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई दी।

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