गायब हो गया जवान चिंता बहादुर भेड़ बनकर लौटा, अब भी सेना में तैनात

क्या है जवान चिंता बहादुर की कहानी?

रंजन कुमार सिंह

राइफलमैन चिंता बहादुर। अपने नाम की तरह ही बहादुर। 1944 में जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था, तो वह गोरखा राइफल्स का हिस्सा थे। अपनी यूनिट के साथ अंग्रेज़ों की तरफ से लड़ रहे थे। तब के बर्मा यानी आज के म्यांमार में जारी थी जंग। इस मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान ही चिंता बहादुर लापता हो गए। उनकी गोरखा यूनिट ने उन्हें बहुत ढूंढा। दो दिन तक उन सब जगहों पर देखा, जहां चिंता बहादुर हो सकते थे। लेकिन, गोरखा यूनिट को अपना साथी नहीं मिला। उसी दौरान एक भेड़ उनकी यूनिट में आई। जहां-जहां यूनिट जाती, वहां-वहां वह भेड़। चिंता बहादुर के साथियों ने मान लिया कि यही उनका साथी है। और तब से यानी 1944 से चिंता बहादुर गोरखा यूनिट का हिस्सा हैं। भारतीय सेना में अब भी तैनात, भेड़ रूप में।
चिंता बहादुर की यूनिट 5/5 गोरखा राइफल्स अभी हिमाचल प्रदेश के डगशाई में तैनात है। अपनी यूनिट के साथ चिंता बहादुर भी यही हैं।

इस समय नायक रैंक है उनकी। उनकी यूनिट का रंग उनकी सींगों पर खूब फबता है। भारतीय सेना की 5/5 गोरखा राइफल्स के लोग मानते हैं कि वह भेड़ उनके साथी सैनिक चिंता बहादुर का अवतार थी, जो उनके लापता होने के बाद यूनिट में आई। 1944 में राइफलमैन रैंक पर रहे चिंता बहादुर का प्रमोशन भी होता है। इस वक़्त वह नायक की रैंक पर हैं। यह नर भेड़ यूनिट के किसी भी सैनिक की तरह सुबह की पीटी यानी फिजिकल ट्रेनिंग में शामिल होता है और औपचारिक सेरेमनी का हिस्सा भी बनता है। जिस तरह हर यूनिट का अपना कलर होता है और हर सैनिक की उससे पहचान होती है, उसी तरह चिंता बहादुर की सीगों को भी यूनिट के कलर, हरे और काले रंग से पेंट किया गया है। पूरी यूनिट अपने इस साथी का ख्याल रखती है। अब तो यूनिट चिंता बहादुर को अपना लकी मसकैट मानती है। भारतीय सेना की इस यूनिट के एक अधिकारी ने बताया कि भेड़ की लाइफ 8-10 साल होती है। उसी हिसाब से चिंता बहादुर राइफलमैन से अधिकतम हवलदार के रैंक तक प्रमोशन पाता है।

एक भेड़ का जीवन पूरा होने पर यूनिट दूसरा नर भेड़ लाती है और वह दूसरा नर भेड़ चिंता बहादुर बन जाता है। यह सिलसिला लगातार जारी है।
चिंता बहादुर को इसी साल 23 जून को लांस नायक से नायक रैंक में प्रमोशन मिला। यह दिन 5/5 गोरखा राइफल्स का बैटल ऑनर डे है। 1944 में इस दिन इस रेजिमेंट के दो जांबाजों को बर्मा ऑपरेशन में बहादुरी के लिए विक्टोरिया क्रॉस मिला था। 5/5 गोरखा राइफल्स का नाम पहले 3/6 गोरखा राइफल्स था, जब यह एक अक्टूबर 1940 में बनी। बाद में एक जनवरी 1948 को इसका नाम 5/5 गोरखा राइफल्स हो गया। भारतीय सेना में गोरखा की 7 रेजिमेंट हैं। आजादी के वक़्त 10 गोरखा रेजिमेंट थीं। उनका भारत और ब्रिटेन के बीच बंटवारा हुआ। 6 भारत के हिस्से आईं और तीन ब्रिटेन के। एक रेजिमेंट डिसबैंड कर दी गई। आज़ादी के बाद भारतीय सेना ने एक और गोरखा रेजिमेंट बनाई।

Chhattisgarh National Religion

विशेष: रामनवमी के पावन अवसर पर रामनाम को पूर्णतया समर्पित, “रामनामी” संप्रदाय का जिक्र बेहद जरूरी

शाश्वत तिवारी छत्तीसगढ़ के जांजगीर के एक छोटे गांव चारपारा से स्थापित हुआ “रामनामी” संप्रदाय भले ही बहुत बड़ी संख्या के अनुयायियों वाला न हो, फिर भी जो है, जितना है, वह अद्भुत है। इस संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का गोदना गोदवा कर रहते हैं। शरीर पर सफेद वस्त्र पहनते हैं, […]

Read More
National

बड़ी घटनाः झेलम में पलटी नाव, कइयों के मरने की मनहूस खबर

बचाव दल की पूरी टीम झेलम पर तैनात, पक्की खबर आने का इंतजार श्रीनगर। नवरात्रि के आखिरी दिन बड़ी मनहूस खबर आई है। खबर है कि मां के दरबार से कुछ दूरी पर स्थित श्रीनगर जिले में एक बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में कई लोगों के मरने की खबर है। प्रशासनिक सूत्रों के […]

Read More
National Uncategorized

जीत के लिए दम भरते दावेदार,  विपक्ष के दावे में कितना है दम

  मधुकर त्रिपाठी| देश धीरे धीरे लोकसभा चुनाव की ओर आगे बढ़ रहा है। बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में अपने लिए 370 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। मोदी और उनकी टीम जिस तरह के बयान दे रहे हैं उससे तो यह साफ हो जाता है कि वे अपने प्रचंड जीत के […]

Read More