झकझोर गए सियासी गलियारों को
आखिरी दीदार के लिए चाहने वाले सैफई रवाना
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। कई दिनों से हरियाणा राज्य के सीएच बक्तवार सिंह रोड, मेडिसिटी, इस्लाम पुर कालोनी सेक्टर 38, गुरुग्राम स्थित मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के मौत की खबर मिलते ही सोमवार सुबह मानों पूरे राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। इस बरस जाते जाते पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया।
तमाम उम्मीदों और डॉक्टरों की कोशिश के बावजूद अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे बहादुर नेता मुलायम सिंह को बचाया नहीं जा सका। पूरे प्रदेश को सदमे लाने वाली इस खबर के बाद पक्ष और विपक्ष के राजनेताओं की जुबान पर इस बात की चर्चा होने लगी कि धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव सिर्फ नेता नहीं थे वे शिक्षा मंदिर के शिक्षक भी थे। यही नहीं राजनीतिक गलियारों में दांव पेंच में माहिर मुलायम सिंह यादव अपने दौरे के नामी गिरामी पहलवान भी थे धोबिया पाट दांव से अच्छे अच्छे धुरंधरों के छक्के छुड़ा चुके थे।
,,, इनकी राजनितिक शुरुआत पर एक नजर,,,
वर्ष 1960 में राजनीतिक दौर की शुरुआत हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करियर के दौर की बात करें तो आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर के साथ मंच पर मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी की स्थापना करने वाले ऐसे महान नेता ने देश के लिए बहुत कुछ किया था। उनकी राजनीतिक जिंदगी 1960 से शुरू हुई जब वह पहली बार यूपी की असेंबली का चुनाव जीते और अपनी जीत को ऐसे दोहराते हुए लोकसभा में अब तक पांच बार अपनी जीत दर्ज कर चुके थे।
बताया जा रहा है कि यूनाइटेड फ्रंट की सरकार में रहते हुए 1996 से 1998 तक मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला और देश की रक्षा नीतियों में सहयोग भरपूर सहयोग किया। मुलायम सिंह यादव लोकसभा में पहली बार 1996 में चुनकर आए थे। इसके अलावा मुलायम सिंह यादव सूबे के तीन बार गौरवान्वित मुख्यमंत्री भी रह चुके थे। उन्होंने पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 1989 से 1991 तक फिर 1993 से 95 तक और आखरी बार 2003 से 2007 तक पदभार संभाला और जनता के साथ कदम से कदम मिलकर चलते हुए, प्रदेश को प्रगति के रास्ते पर ले गए।
,,, हिंदी के मुहब्बती थे मुलायम सिंह यादव,,,
धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव के इतिहास पर नजर डालें तो वे हिंदी वे हिंदी के मुहब्बती थे और पढ़ाया करते थे अंग्रेजी। मुलायम सिंह यादव राजनीति में आने से पूर्व बतौर शिक्षक अध्यापन का कार्य कर चुके हैं।
तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव ने अपना शैक्षणिक करियर करहल क्षेत्र के जैन इंटर कॉलेज से शुरू किया था। उनके साथ पढ़ाने वाले शिक्षक और बच्चों को उनकी सिखाई गई एक-एक बात याद है। वे अपने साथियों से कहा करते थे कि शिक्षक हमेशा शिष्य रहता है। उसे प्रतिदन कुछ न कुछ नया सीखना चाहिए।
,,,शुरुआती करियर पर एक नजर,,,
1955 में मुलायम सिंह यादव ने जैन इंटर कॉलेज में कक्षा नौ में प्रवेश लिया था। यहां से 1959 में इंटर करने के बाद 1963 में यही सहायक अध्यापक के तौर पर अध्यापन का काम शुरू कर दिया था। उस दौर में उन्हें 120 रुपए मासिक वेतन मिलता था। करीबी 11 वर्ष बाद 1974 में वे यहीं पार राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता के तौर पर प्रोन्नत हुए। राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते उन्होंने 1984 में यहां से त्याग पत्र दे दिया। इसके बाद मुलायम सिंह का राजनीतिक करियर शुरू हुआ। इस दौरान 1967 में वे जसवंतनगर में विधायक बने थे।