भारत के सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम ऐतिहासिक फैसले-जिसमें कहा गया है कि सभी महिलाएं (विवाहित और अविवाहित) सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं। वहीं सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अविवाहित महिलाएं भी 24 सप्ताह के भीतर अनचाहे गर्भ को समाप्त करने की हकदार होंगी। इस फैसले के बाद मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) सुर्खियों में आ गया है। लेकिन, यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि गर्भपात शारीरिक और भावनात्मक रूप से एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है। इस प्रकार की प्रक्रिया के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह अच्छी तरह से ठीक हो जाए।
अहमदाबाद के शेल्बी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की स्त्री रोग एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, डॉ स्वाति चिटनिस ने कहा कि यद्यपि गर्भपात की वास्तविक प्रक्रिया में अधिक समय नहीं लगता है, लेकिन इसके बाद की स्थिति में अबॉर्शन किसी के शरीर और भावनाओं पर भारी असर डालता है। प्रक्रिया के बाद कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। साथ ही फॉलोअप अप्वाइंटमेंट्स लेना बेहद जरूरी है। गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ, डॉ गुंजन गुप्ता गोविल ने कहा कि गर्भपात के बाद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उचित देखभाल जरूरी है। गर्भपात एक कम जोखिम वाली तकनीक है जो सुरक्षित है। हालांकि, लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि गर्भपात के बाद हो रही शारीरिक और मानसिक दिक्कतों से कैसे निपटा जाए। (BNE)