गौड़ वंश के राजा ठाकुर सरदार सिंह के काल में स्थापित हुआ था मंदिर
अहमदपुर/बाराबंकी। नवरात्रि शुरू होते ही आदि शक्ति मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तगणों का तांता लगना शुरू हो गया। जनपद मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर दूर अहमदपुर टोल प्लाजा से उत्तर पूर्व दिशा में स्थित गांव पूरे अमेठिया में प्रकृति के मनोरम एवं रमणीय परिवेश में स्थित है जगत जननी माता वनदेवी का मंदिर। आज यह स्थान श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु है। वनदेवी मन्दिर अपनी प्राकृतिक गरिमा के साथ-साथ पौराणिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का प्रेरणा स्रोत भी है।यहाँ श्रद्धालुजन वर्ष पर्यन्त आते रहते हैं लेकिन अश्विन एवं चैत्र नवरात्रि में जन सैलाब उमड़ पड़ता है।वनदेवी मन्दिर अनेक साधु-महात्मा एवं साधकों की तपस्थली भी रहा है। कहते है कि माता वन देवी के मंदिर में जो भी भक्त मन्नते मानते है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। शादी – विवाह, मुंडन संस्कार, कन्या पूजन आदि मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन माता वनदेवी के दरबार में हुआ करता है। जानकारी के अनुसार लगभग 350 वर्ष पूर्व गौड़ वंश(अमेठिया) के रौनीत (रौनी) स्टेट के राजा ठाकुर भगवान बक्श सिंह के अनुज ठाकुर सरदार सिंह गौड़ के समय में स्थापित किया गया,उसी समय सरदार सिंह ने पूरे अमेठिया गांव को बसाया।
सरदार सिंह के वंशज ठाकुर बृजराज सिंह बताते है कि यह मंदिर अपनी सिद्धता का स्वयं प्रमाण रहा है, जब – जब गांव में कोई विपदा आई है, तब – तब माता वन देवी ने गांव के लोगों के कष्टों को हरा है। प्राचीन मंदिर कल्याणी नदी के तट के किनारे स्थित है,मंदिर के पूर्व में माता जलाहली का पवित्र स्थान है, जिसके मुख से निरंतर अविरल धारा निकलती रहती है। जो गांव के लोगों की विपदाओं को हमेशा हरती आई है, ऐसी मान्यता है कि कई वर्ष पूर्व आए हुए बाढ़ को वन देवी अपने स्थान से पूर्व सीमित कर दिया जिससे गांव बाढ़ग्रस्त होने से बच गया। ग्रामीणों का कहना है कि इतने प्राचीन मंदिर को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संरक्षण देना चाहिए ताकि ये अपनी रमणीयता को और अधिक प्रभावी बना सकें। हालांकि योगी सरकार प्राचीन हिंदू मंदिरों को संरक्षण देने का कार्य कर रही है अब देखना है कि जानकारी उजागर होने पर प्रदेश सरकार इस प्राचीन वन देवी मंदिर पर क्या निर्णय लेती है?