दो टूक: PFI पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक ने तोड़े देश विरोधियों के मंसूबे

राजेश श्रीवास्तव


लखनऊ। दो दिन पहले जब देश के 15 राज्यों में PFI के करीब 500 ठिकानों पर NIA ने छापेमारी की तब जाकर देश के सामने सच्चाई आ सकी। लेकिन इस बार सरकार ने इतना अधिक होमवर्क करके इस मामले में कार्रवाई की कि किसी को बच निकलने का मौका नहीं मिल सका। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक ऐसा संगठन जिस पर बीते सालों में आतंक की कई घटनाओं में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। दिल्ली के शाहीन बाग से लेकर एमपी में खरगोन दंगों और उदयपुर में टेलर का सिर कलम करने तक में इस संगठन का नाम आया है। हद तो तब हो गई जब जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार यात्रा में गड़बड़ी फैलाने की सूचना पर बिहार शरीफ के कुछ ठिकानों पर दबिश हुई। पकड़े गए लोगों के पास से मिले दस्तावेज बयां कर रहे हैं कि वो हिन्दुस्तान की सत्ता हासिल करना चाहते हैं। इसमें लिखा मिला कि 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है।

इस दस्तावेज में ये भी लिखा है कि यदि 10 फीसद मुस्लिम भी साथ दें, तो कायरों को घुटनों पर ला देंगे। इसके लिए इनके पास चार लेयर का पूरा प्लान है।  बिहार पुलिस ने 11 जुलाई को बिहार शरीफ में अतहर परवेज को गिरफ्तार किया, तो पता चला कि वह पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सदस्य रहा है। उसने वहीं किराए के मकान में कई राज्यों से आए लोगों को ट्रेनिग भी दी है। इसके बाद देशभर की इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हुए। PFI का पूरा नेटवर्क खंगाला गया। 20 राज्यों और 100 से ज्यादा शहरों में इनका सर्विलांस शुरू हुआ। पता चला कि इनके मंसूबे खतरनाक हैं और नेटवर्क पूरे देश में फैल चुका है। मध्यप्रदेश सहित ज्यादातर राज्यों में PFI के सिमी से जुड़े होने के भी प्रमाण मिले। PFI को खाड़ी देशों के अलावा देश के बड़े मुस्लिम कारोबारियों से चंदा मिल रहा है। यही वजह है कि छापेमारी में NIA के साथ ईडी भी शामिल रही। हालांकि अब तक ईडी ने छापे में मिले आर्थिक लेनदेन का खुलासा नहीं किया है।

एक समय में लगभग 500 PFI छापों के साथ NIA के इतिहास में सबसे बड़ी छापेमारी की गई। इसकी अध्यक्षता दिल्ली के अजीत डोभाल और अमित शाह ने की। यहां की गई सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के समान है। पिछले चार,पांच महीनों से PFI नेता NIA और अन्य गुप्त एजेंसियों विशेषकर केरल में PFI नेताओं द्बारा निगरानी में थे। NIA अधिकारियों को पहले से ही पता था कि केरल में PFI और आतंकवादी गतिविधियां फली-फूली हैं और इसीलिए 200 NIA अधिकारियों को यहां जोर देकर भेजा गया था। वे पिछले रविवार को केरल के कई हिस्सों में पहुंचे। उन्होंने PFI नेताओं के घर और कार्यालय क्षेत्र के 1 किमी के दायरे में कमरे किराए पर लिए। कोई नहीं जानता था कि वे क्यों आए थे और उनके इरादे क्या थे। वहां से वे PFI के मार्गों का ट्रैक कर रहे थ्ो। नेताओं के घर और दफ्तर, नक्शे बनाकर दिल्ली भेजा।

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वहां से अनुमति मिलने के बाद NIA, ईडी और अन्य गुप्त एजेंसियों के लगभग 200 उच्च कुशल अधिकारी केरल के कई हिस्सों में पहुंच जाते हैं और केरल के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को भी यह नहीं पता होता है। रांची से 10 बटालियन (750 पुरुष) सीआरपीएफ गार्ड पहुंचे कोच्चि में 200 अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी प्रकार के अति-आधुनिक हथियारों के साथ। वहाँ से वे कई समूहों में विभाजित हो गए और केरल के विभिन्न हिस्सों में पहुँच गए लेकिन तब तक वे नहीं जानते कि वे क्यों आए हैं। 200 अधिकारी टीमों में बंटे हुए तीन दिनों तक लगातार निगरानी में लगे रहते हैं। वे यात्रा करने के लिए टैक्सी का उपयोग करते हैं और कैब चालक को अपना सेल फोन बंद करने के लिए कहा जाता है। तीन दिनों की निगरानी के अंत में, दिल्ली से जानकारी दी जा रही है कि यह है ऑपरेशन। उसके बाद केरल पुलिस के उच्च अधिकारियों को सूचित किया जाता है और निचले स्तर के कांस्टेबलों को सख्त आदेश दिया जाता है कि वे किसी भी कारण से जानकारी न दें। वहीं, गिरफ्तार PFI नेताओं को दिल्ली पहुंचाने के लिए गारीपुर एयरपोर्ट पर सीमा सुरक्षा बल का 75 यात्री विमान तैयार रखा गया।

दिल्ली से दो बजे ऑपरेशन शुरू करने का आदेश आता है। अजीत डोभाल और अमित शाह, जिन्होंने मोर्चा संभाला और आदेश दिया। खुद एक-एक पल की जानकारी ली, मानीटरिग की। कमोवेश इसी तरह की कार्रवाई सभी राज्यों में की गयी। स्थानीय पुलिस तक को इस पूरे आपरेशन की भनक नहीं लगी। NIA इन आतंकवादी नेताओं को बहुत मजबूत सबूतों के साथ दिल्ली ले गई है। PFI ने केरल में अतीत में आतंकवादी गतिविधियों, देशद्रोह के कृत्यों, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए विदेशों से आने वाले धन, उनके और PFI नेताओं के बीच संबंधों के स्पष्ट सबूतों को पकड़ लिया है। लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई और इतनी सधी कार्रवाई पहली बार देश में किसी संगठन के खिलाफ की गयी है। कहा जा रहा है सरकार ने जान-बूझकर ऐसा किया ताकि सुèबूतों को नष्ट करने का मौका न मिले और यह लोग कानून का लाभ उठाकर बच न सकें। मालुम हो कि PFI में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के अधिवक्ता इसके सक्रिय सदस्य हैं। इसीलिए इसे पाकिस्तान में हुई सर्जिकल स्ट्राईक के तर्ज पर अंजाम दिया गया। लंबे समय से कहा जा रहा था कि यह सिमी का बदला स्वरूप है, लेकिन इस बार लगता है कि सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाने का पूरा खाका खींच रखा है और इस पर जल्द परिणाम देखने को मिलेंगे।

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