Anti conversation bill: कर्नाटक में धर्मान्तरण हुआ अब गैरकानूनी, एक लाख तक जुर्माना और तीन से 10 साल तक की सज़ा,

रंजन कुमार सिंह


कर्नाटक अब देश का 11वां राज्य बन गया है, जहां किसी का धर्म परिवर्तन कराना गैरकानूनी माना जाएगा। कर्नाटक विधानपरिषद में गुरुवार को धर्मांतरण विरोधी बिल (Anti conversion bill) को पारित कर दिया गया। कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता अधिकार सुरक्षा विधेयक को राज्य विधानसभा में पिछले साल दिसंबर में हरी झंडी मिल चुकी थी, लेकिन यह विधेयक अभी तक विधान परिषद में लंबित था।  अब विधान परिषद में इस विधेयक को मंजूरी मिलने के साथ ही कर्नाटक देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है। जिनमें किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर सजा का प्रावधान है।

 कांग्रेस ने सदन से किया वॉकआउट

 विधान परिषद में सत्ताधारी भाजपा ने हंगामे के बीच इस बिल को पेश किया। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया। विधान परिषद में बिल पेश होने पर कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट ही कर दिया। इसके बावजूद भाजपा बिल को पारित कराने में सफल रही। कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने विपक्ष की आलोचनाओं को खारिज किया। उन्होंने कहा कि हम किसी की स्वतंत्रता पर निशाना नहीं साध रहे बल्कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए यह बिल लाए हैं। मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई की भाजपा सरकार ने कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता अधिकार सुरक्षा विधेयक को पिछले साल दिसंबर में विधानसभा में पेश किया था। विधानसभा में भी विपक्ष ने इस विधेयक का भारी विरोध किया था और इसे कुछ समुदायों को निशाना बनाने की कोशिश बताया था। इसके बावजूद विधानसभा में विधेयक पारित हो गया था।

कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई
कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई

क्या कहता है कर्नाटक का धर्मांतरण कानून

इस कानून में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान है। कानून को निम्न तरीके से समझा जा सकता है।

 विवाह के लिए धर्म परिवर्तन नहीं

कानून के मुताबिक, धर्म परिवर्तन करने के लिए यदि कोई विवाह करता है तो उसे मंजूरी नहीं मिलेगी। साथ ही यदि किसी से जबरन विवाह करने के लिए कोई लड़के या लड़की का धर्मपरिवर्तन कराएगा तो वह भी गैरकानूनी माना जाएगा।

 धर्म बदलना है तो पहले नोटिस दो

कानून में धर्म परिवर्तन करने की छूट भी दी गई है। लेकिन इसके लिए धर्म बदलने वालों को कम से कम एक महीना पहले जिला प्रशासन को नोटिस देकर सूचित करना होगा। नोटिस एडिशनल जिला मजिस्ट्रेट या उससे ऊपरी रैंक के अधिकारी को ही देने पर मान्य होगा। इसके बाद धर्म परिवर्तन के उद्देश्य की जांच की जाएगी। जांच के बाद मंजूरी मिलने पर ही धर्म परिवर्तन संभव होगा।

कर्नाटक का असेंबली
कर्नाटक का असेंबली

किसकी शिकायत पर होगी कार्रवाई

 कानून की धारा-तीन में जबरन धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध है। इसमें कहा गया है कि धारा-तीन का उल्लंघन करने वाले धर्म परिवर्तन की शिकायत पीड़ित व्यक्ति कर सकता है। पीड़ित व्यक्ति के अलावा उसके माता-पिता, भाई-बहन या उससे ब्लड रिलेशन रखने वाले किसी रिश्तेदार की शिकायत पर भी FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

 नहीं माने तो क्या होगी सजा:

किसी नाबालिग, महिला या SC/ST व्यक्ति का धर्मांतरण जबरन करने या बिना इजाजत कराने पर सजा का प्रावधान है। ऐसे मामले में धर्म परिवर्तन कराने में दोषी माने गए हर व्यक्ति को तीन से दस साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है। साथ ही उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है।

पीड़ित को मिलेगा पांच लाख का मुआवजा

जबरन धर्मांतरण साबित होने पर इससे पीड़ित होने वाले व्यक्ति को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही जुर्माने की रकम भी उसे दी जाएगी। साथ ही ऐसे विवाह को फैमिली कोर्ट से अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। यदि जिले में फैमिली कोर्ट नहीं है तो पारिवारिक मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत को इसका अधिकार होगा।

10 राज्यों में पहले से है कानून

कर्नाटक धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने वाला देश का 11वां राज्य है। सबसे पहले देश में ओडिशा (Odisha anti conversion act) में साल 1967 में ये कानून लागू किया गया था, जबकि हरियाणा (2022) इसे लागू करने वाला कर्नाटक से पहले आखिरी राज्य है।  इसके अलावा मध्य प्रदेश (1968), अरुणाचल प्रदेश (1978), छत्तीसगढ़ (2000), गुजरात (2003), हिमाचल प्रदेश (2006), झारखंड (2017), उत्तराखंड (2018) और उत्तर प्रदेश (2021) में भी यह कानून लागू है। गुजरात में साल 2003 में, छत्तीसगढ़ में साल 2006 में और हिमाचल प्रदेश में साल 2019 में इन कानूनों को संशोधित करते हुए और ज्यादा शार्प और कड़ा बनाया गया है। मध्य प्रदेश में साल 2020 में दोबारा अध्यादेश पेश किया गया, जिसे 2021 में मंजूरी देकर कानून बनाया गया।

कर्नाटक विधानसभा भवन

तमिलनाडु और राजस्थान कदम बढ़ा कर हटे पीछे

 तमिलनाडु और राजस्थान भी उन राज्यों में शामिल हैं, जहां धर्मांतरण कानून लागू करने की कोशिश की गई। तमिलनाडु ने 2002 में कानून लागू किया, लेकिन साल 2006 में ईसाई समुदाय के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद यह कानून वापस ले लिया गया। राजस्थान सरकार ने पहले 2006 और फिर 2008 में कानून बनाने के लिए विधेयक पारित किया, लेकिन सरकार को पहली बार राज्यपाल और दूसरी बार राष्ट्रपति से इस कानून को लागू करने की मंजूरी नहीं मिली।  बिल के पारित होने के बाद कर्नाटक के मंत्री डॉ अश्वथनारायण ने कहा कि बहुप्रतीक्षित इस बिल के पास हो जाने के बाद अब पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और जवाबदेही तय होगी।

डॉ अश्वथनारायण ने कहा कि वर्तमान में धर्मांतरण की वजह से जो चुनौतियां पेश आ रही हैं, इस बिल के पारित होने से उनसे निपटने में मदद मिलेगी। इसकी वजह से समाज में सौहार्द की स्थापना होगी। विपक्षी दलों कांग्रेस एवं जनता दल सेक्युलर के भारी हंगामे के बीच भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस बिल को पारित करवा लिया। कर्नाटक सरकार के विधि मंत्री जेसी मधु स्वामी ने इस बिल को विधानसभा में पेश किया। उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ईसाई समुदाय को निशाना बनाने के इरादे से यह बिल लाया गया है। मधु स्वामी ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों को संरक्षण देने के लिए यह बिल लाया गया है।

कर्नाटक के विधि मंत्री ने कहा कि अगर कोई स्वेच्छा से अपना धर्म बदलना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए वह पहले डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को आवेदन देगा और उसके बाद धर्मांतरण करेगा। अगर किसी का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता है, तो यह अपराध माना जायेगा। उन्होंने कहा कि इस कानून की परिकल्पना प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने की थी। विधानसभा में कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सदन में बिल का विरोध किया। साथ ही उन्होंने कहा कि पैसे की लालच में किसी ने धर्म परिवर्तन नहीं किया। उन्होंने तथ्यों के आधार पर ईसाईयों की बढ़ती आबादी के दावों को खारिज किया। वर्ष 2001 की जनगणना का हवाला देते हुए सिद्दारमैया ने कहा कि राज्य में 83.86 फीसदी हिंदू हैं, जबकि 12.3 फीसदी मुस्लिम और सिर्फ 1.91 फीसदी ईसाई समुदाय के लोग हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना में हिंदुओं की संख्या 84 फीसदी हो गयी। मुस्लिमों की आबादी 12.92 फीसदी और ईसाईयों की आबादी घटकर 1.87 फीसदी रह गयी। यह सरकारी आंकड़ा है। उन्होंने पूछा कि कहां हिंदुओं की आबादी घटी? लेकिन, ईसाईयों की आबादी में कमी आयी है

 

homeslider Sports Uncategorized

Don’t Worry… प्ले ऑफ में अभी भी पहुंच सकती है RCB

एकतरफा मैच में SRH को RCB ने चटाया धूल, धराशायी हो गई टीम कोहली, पाटीदार और ग्रीन ने खेली शानदार पारी बड़े लक्ष्य का पीछा नहीं कर पाई सनराइजर्स हैदराबाद नई दिल्ली। दुनिया के सबसे धांसू बल्लेबाज और भारतीय रन मशीन विराट कोहली की टीम को हारते हुए देखकर सब कोई कह रहा था कि […]

Read More
Chhattisgarh National Religion

विशेष: रामनवमी के पावन अवसर पर रामनाम को पूर्णतया समर्पित, “रामनामी” संप्रदाय का जिक्र बेहद जरूरी

शाश्वत तिवारी छत्तीसगढ़ के जांजगीर के एक छोटे गांव चारपारा से स्थापित हुआ “रामनामी” संप्रदाय भले ही बहुत बड़ी संख्या के अनुयायियों वाला न हो, फिर भी जो है, जितना है, वह अद्भुत है। इस संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का गोदना गोदवा कर रहते हैं। शरीर पर सफेद वस्त्र पहनते हैं, […]

Read More
National

बड़ी घटनाः झेलम में पलटी नाव, कइयों के मरने की मनहूस खबर

बचाव दल की पूरी टीम झेलम पर तैनात, पक्की खबर आने का इंतजार श्रीनगर। नवरात्रि के आखिरी दिन बड़ी मनहूस खबर आई है। खबर है कि मां के दरबार से कुछ दूरी पर स्थित श्रीनगर जिले में एक बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में कई लोगों के मरने की खबर है। प्रशासनिक सूत्रों के […]

Read More