शत्रुओं का विनाश करने वाला प्रदोष व्रत, सौ गायों के दान करने का फल भी प्रदान करता है,

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


त्रयोदशी तिथि में सायंकाल को प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है। गुरु प्रदोष त्रयोदशी व्रत करने वाले को 100 गायें दान करने का फल प्राप्त होता है तथा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है। गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं का विनाश करने वाला भी माना गया। श्री सूतजी के अनुसार- यह अति श्रेष्ठ शत्रु विनाशक भक्ति प्रिय व्रत है।

प्रदोष व्रत व प्रदोषम व्रत एक प्रसिद्ध हिन्दू व्रत है जो कि भगवान शिव का आर्शीवाद पाने के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने में दो बार आता है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। यह व्रत दोनों पक्षों के त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। प्रदोष व्रत अगर सोमवार के दिन आता है तो उसे सोम प्रदोषम कहा जाता है। मंगलवार के दिन आता है तो उसे भौम प्रदोषम कहा जाता है और शनिवार के दिन आता है तो उसे शनि प्रदोषम कहा जाता है। यह व्रत सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है।

प्रदोष व्रत में पूजा का समय

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक होती हैं।

 

प्रदोष व्रत की तिथि

भाद्रपद, शुक्ल त्रयोदशी, गुरु प्रदोष व्रत

गुरुवार, 08 सितंबर 2022

प्रदोष व्रत प्रारंभ : 08 सितंबर सुबह 12:05 बजे

प्रदोष व्रत समाप्ति : 08 सितंबर रात 09:03 बजे

 

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत से पूर्व ता​मसिक वस्तुओं का सेवन बंद कर दें। द्वादशी को शाकाहारी भोजन करें।

त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत के प्रात: स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें। फिर हाथ में जल, अक्षत् एवं फूल लेकर व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।

दिन में आप दैनिक पूजन कर लें और फलाहार करते हुए व्रत रखें।

शाम के समय में प्रदोष मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाएं या फिर घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें।

सबसे पहले गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करें। उसके बाद शिव जी का श्रृंगार करें। महादेव को सफेद चंदन, शहद, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा आदि चढ़ाएं।

पूजा की सामग्री चढ़ाते समय ओम नम:​ शिवाय का जाप करते रहें। इसके पश्चात शिव चालीसा, शिव मंत्र का जाप करें। फिर गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।

पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करके क्षमा प्रार्थना करें और मनोकामना व्यक्त कर दें।

उसके बाद प्रसाद वितरण करें. किसी ब्राह्मण को अन्न, फल, मिठाई दानकर कुछ दक्षिणा देकर विदा करें। उसके पश्चात पारण करके व्रत को पूरा करें।

 

गुरु प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा :-

इस व्रत कथा के अनुसार एक बार इंद्र और वृत्तासुर की सेना में घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर डाला। यह देख वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया। सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हें वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे दूं।

वृत्तासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया।

हां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहासपूर्वक बोला- ‘हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।’

चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी शिवशंकर हंसकर बोले- ‘हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारणजन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो!’

माता पार्वती क्रोधित हो चित्ररथ से संबोधित हुईं- ‘अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्‍वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है अतएव मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा- अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं।’

जगदम्बा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना।

गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- ‘वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिवभक्त रहा है अत हे इंद्र! तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो।’

देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देवलोक में शांति छा गई। अत: प्रदोष व्रत हर शिव भक्त को अवश्य करना चाहिए।


ज्योतिषी और हस्तरेखाविद/ सम्पर्क करने के लिए मो. 9611312076 पर कॉल करें…


 

Astrology

राशिफलः जानिए कैसा रहेगा 29 अप्रैल और क्या कह रहे हैं आपके सितारें

यदि आपकी राशि के सितारें ठीक हैं तो नया ट्राई कर सकते हैं आप राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद आज का राशिफल व पंचांगः 29 अप्रैल, 2024, सोमवार आज और कल का दिन खास 29 अप्रैल 2024 : विश्व नृत्य दिवस आज। 30 अप्रैल 2024 : कल मनाया जाएगा विश्व ईमानदारी दिवस। ज्‍योतिष का कैंसर […]

Read More
Astrology

राशिफल 26 अप्रैलः आपकी भी चमक सकती है किस्मत, शुक्रवार को ये हैं सितारों की चाल

यदि आपने नहीं देखा अपना राशिफल तो अभी पढ़िए और जानिए क्या कह रहे हैं सितारें राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद 26 अप्रैल 2024, शुक्रवार आज का राशिफल व पंचांग आज और कल का दिन खास 26 अप्रेल 1514 में, खगोलशास्त्री और गणितज्ञ निकोलस कोपरनिकस ने शनि का पहला अवलोकन किया। 27 अप्रेल 2024 : […]

Read More
Astrology

यदि आपकी राशि वृषभ, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि है तो आपके लिए बहुत खास है आज का दिन

ये सितारें बताते हैं आपका कैसा होगा दिन, जानें आज का राशिफल और पंचांगः 25 अप्रैल 2024, गुरुवार क्या आप जानते हैं आज और कल का खास दिन राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद 25 अप्रैल 2024 : विश्व मलेरिया दिवस आज। 25 अप्रैल 1982 को दिल्ली में टेलीविजन पर पहली बार रंगीन प्रसारण की शुरुआत […]

Read More