कविता रण की

Litreture

Exclusive Poem: महाशक्ति का आह्वान

•बलराम कुमार मणि त्रिपाठी   एक बार फिर आओ मां रणचंडी! बढ़े पाप को खा जाओ रणचंडी।।   राक्षस कुल बढ़ते जाते हैं, पापी सभी कहर ढाते हैं। सत्य बोलने वाले डरते, ढोंगी अब बढ़ते जाते हैं।। भटक रहे है लोग, इन्हे सन्मार्ग दिखाओ!!   महाश्मशान कालिके आओ! अट्टहास कर रोर मचाओ।   जो नृशंश […]

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