2015 से 2018 के बीच यूपी के तीनों मंडलों मेरठ बरेली में बड़े स्तर पर खाद्य विभाग अनियमितता बरती घोटाला किया गया और अधिकारियों कर्मचारियों ने राशन-डीलरों की मिली-भगत से गरीब परिवारों (बीपीएल) का राशन खा लिया है। एक-एक आधार कार्ड पर 90 से 100 लोगों को राशन बांटने की बात भी सामने आई है, सीआईडी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करते हुए कहा है कि इस घोटाले में नाबालिग बच्चों को भी लाभार्थी बनाकर गरीबों का हक छीना गया है। इस संबंध में 134 से अधिक मुकदमे भी दर्ज किये गये, सीआईडी ने भी 5 साल से लंबित चल रहे तीन मंडलों के 134 केस में से 110 को निस्तारित कर दिया है, शासन स्तर पर यह दाबा किया गया है ।
पांच सालों की सीआईडी जांच में राशन घोटाले की जांच में पता चला है कि यह सारी धांधली आधार कार्ड के दुरुपयोग से हुई है। खाद्य आपूर्ति के जिला और मंडल अधिकारियों और कर्मचारियों ने कोटेदारों से मिलीभगत कर वास्तविक लाभार्थियों के आधार नंबर को एडिट कर दिया, इसके बाद पात्रों के नाम से अपात्रों के नाम से राशन रिलीज किया गया। सीआईडी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत चार्जशीट में कई जिला पूर्ति निरीक्षक, राशन डीलर, सेल्समैन और कंप्यूटर ऑपरेटरों को नामजद किया है, इनके अलावा कुछ एडीएम खाद्य नागरिक आपूर्ति और डीएसओ के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गयी है लेकिन संख्या का खुलासा नहीं किया गया है ।
