(शाश्वत तिवारी)
इधर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और उधर ये चुनावी मुद्दा बन गया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि चुनाव EVM से ही होंगे, अब बैलट पेपर के ज़माने में लौटने की बात किसी को सोचनी भी नहीं चाहिए, चुनाव के बीच चुनाव प्रक्रिया पर बेवजह संदेह पैदा करना ठीक नहीं हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की पीठ ने EVM के केस में दो फ़ैसले दिए हैं। पहला ये कि बैलट पेपर से चुनाव कराने या फिर VVPAT के साथ 100 परसेंट मिलान की मांग को सिरे से ख़ारिज किया जाता है और दूसरा संदेह की स्थिति में जांच का रास्ता खोल दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया है कि उम्मीदवारों के चुनाव निशान लोड होने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद EVM की सिंबल लोडिंग यूनिट को सील किया जाए और चुनाव नतीजे आने के बाद कम से कम 45 दिनों तक सिंबल स्टोर यूनिट को सुरक्षित रखा जाए। अगर हारने वाले उम्मीदवार को नतीजे पर ऐतराज़ है तो वह सात दिन के भीतर चुनाव आयोग से जांच की मांग कर सकता है। चुनाव आयोग तकनीकी एक्सपर्ट्स से वोटिंग मशीनों की जांच कराएगा, मशीनों की जांच का ख़र्चा उम्मीदवार को ही देना होगा।
पीएम मोदी ने बिहार की चुनावी रैली में EVM पर सवाल उठाने वालों पर करारा हमला किया, कहा कि ईवीएम पर सवाल उठाने वालों के गाल पर ये एक करारा तमाचा है। पीएम मोदी ने कहा विरोधी दलों के नेताओं ने EVM को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है, INDI अलायन्स के लोग चाहते थे कि देश फिर उसी अंधकार युग में लौट जाए जब बूथ कैप्चर होते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विरोधी दलों को गहरा झटका दिया है। मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों को समझ लेना चाहिए कि बैलट पेपर वाला पुराना युग अब वापस नहीं आएगा।
EVM का सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस के नेता कई साल से कर रहे थे। EVM के खिलाफ विदेश जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक की। दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में विरोध मार्च भी हुआ। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई अर्ज़ियों से कांग्रेस का कोई वास्ता नहीं था लेकिन, कांग्रेस ज़्यादा से ज़्यादा VVPAT मिलान करने की मांग करने का अभियान आगे भी चलाती रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझदारी का फैसला है, देश को आगे ले जाने वाला फैसला है, लोकतंत्र की लाज बचाने वाला फैसला है। मैंने पिछले 34 साल से चुनावों को बहुत करीब से देखा है, हर चुनाव में बूथ लूटे जाते थे, गोलियां चलती थीं, बम फोड़े जाते थे। जब मैं रिपोर्टर बना तो चुनावों में सबसे बड़ी खबर ये होती थी कि कहां, किसने, कितने बूथ लूटे। आज के ज़माने के लोगों को शायद ये मालूम नहीं होगा कि बूथ लूटना क्या होता है। गुंडे बदमाश पोलिंग बूथ में आते थे। वोटरों को भगा देते थे, बैलट पेपर पर अपने उम्मीदवार का ठप्पा मारकर डिब्बा सील करवा देते थे।ये बूथ लूटना सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं होता था। इससे बाहुबली उम्मीदवारों का रास्ता खुलता था। पहले वो बंदूक के दम पर दूसरों के लिए बूथ लुटवाते थे, फिर कुछ साल बाद अपने लिए बूथ लूटते थे और संसद और विधानसभा में पहुंच जाते थे।
जब EVM मशीन आई तो ये गुंडागर्दी, ये वोट की लूट बंद हुई। EVM की मशीन कांग्रेस के जमाने में आई थी लेकिन इसमें गड़बड़ के इल्जाम मोदी के पीएम बनने के बाद लगे। जब राहुल गांधी जैसे नेता EVM में गड़बड़ी के आरोप लगाते थे, कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण जैसे वकील इस पर सवाल उठाते थे, तो दुख होता था क्योंकि वो EVM की अहमियत जानते हैं। वो जानते हैं कि EVM ने हमारी चुनावी प्रक्रिया को कितना सुरक्षित बनाया है। मुझे लगता है जिन लोगों ने EVM पर सवाल उठाए, अब उन्हें अक्ल आ गई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हर पहलू पर विचार करने के बाद फैसला किया है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज कह दिया कि EVM से वोटिंग सुरक्षित है, और इसकी हैकिंग नहीं हो सकती, ये EVM पर सवाल उठाने वालों के लिए करारा जवाब है। कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी चुनाव व्यवस्था पर लोगों का भरोसा और पुख्ता करेगा। साथ ही इससे हमारे लोकतंत्र को और सशक्त और जानदार बनाने में मदद मिलेगी। इसीलिए पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन लोकतंत्र के लिए विजय दिवस है, हर देशवासी को इस दिन पर गर्व होना चाहिए।