IIT-BHU किश्त-दो : घोटालों की नींव पर बना है फैकल्टी अपार्टमेंट और डायरेक्टर बंगला

  • फैकल्टी आवासः न कोई सुविधा और न ही निर्माण क्वालिटी
  • …लेकिन डायरेक्टर आवास के लिए खूब खर्च हुआ धन
भौमेंद्र शुक्ल
भौमेंद्र शुक्ल

वाराणसी। यूं तो देशभर में चल रहे निर्माण कार्यों की जांच भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (IIT) के जिम्मे रहता है। किसी भी संस्थान में घपले-घोटाले की बू आती है तो अधिकारी तुरंत IIT से जांच की ओर रुख करते हैं। लेकिन जब उंगली IIT की ओर ही उठने लगे या सवाल IIT से ही होने लगे तो कहानी किसी को समझ में नहीं आती है। ताजा मामला देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से जुड़ा हुआ है। यहां बने इमारतों पर भ्रष्टाचार के आरोप मढ़े जा रहे हैं और आरोप लगाने वाले छात्रों का दावा है कि अगर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच करा ली जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

नवम्बर माह की दो तारीख से शुरु हुआ काशी हिंदू यूनिवर्सिटी का बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के खिलाफ वहां के छात्रों में आक्रोश पनपने लगा है। छात्रों का एक गुट मांग कर रहा है कि IIT बाहर जाओ। वहीं दूसरा धड़ा वहां हुए निर्माण कार्य के घपले-घोटालों की जांच CBI से कराने पर अड़ा हुआ है। साथ ही वह चाहता है कि एक नवम्बर को हुई घटना की SIT जांच कराई जाए।

 

बताते चलें कि BHU की बिल्डिंग में जबरिया घुसने वाली IIT के पास इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर केवल दो इमारते हैं। पहला है- फैकल्टी अपार्टमेंट और दूसरा है निदेशक का बंगला। बाकी सभी संसाधन BHU का IIT इस्तेमाल करता आ रहा है। प्रयोगशाला से लेकर क्लासरूम तक सभी BHU की बिल्डिंग में चलता है।
नया लुक रिपोर्टर दीपक साहनी इसकी पड़ताल करने BHU स्थित IIT पहुंचे। उन्होंने देखा कि फैकल्टी अपार्टमेंट चार टॉवर बना हुई है। A, B,C और D यानी चारों टॉवरों में कुल 144 फ्लैटों का निर्माण हुआ है। टॉवर A और B ब्लॉक आठ मंजिल का बना हुआ है। हर मंजिल पर चार फ्लैट हैं। यानी A और B में कुछ 64 फ्लैट्स बने हैं। वहीं C और D ब्लॉक में की इमारत 10 मंजिला है यानी उसमें कुल 80 फ्लैट बने हुए हैं। इस बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। लेकिन अगर क्वालिटी की बात करें तो आप अपने दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे। बिल्डिंग में इतना घटिया क्वालिटी की सामग्री लगाई गई है कि एक कील धंसाने पर वह नहीं टिकती। वह ईंट के साथ बाहर आ जाती है। कई जगह प्लास्टर उखड़ रहा है और पेंटिंग भी ठीक-ठाक नहीं हो पाई है।

वहीं सुविधाओं की बात करें तो इस अपार्टमेंट के लिए पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है और न ही यहां रह रहे 144 परिवारों के बच्चों के लिए कोई खेल का मैदान बनाया गया है। बात सिक्योरिटी की करें तो एक नवम्बर को हुई घटना इस बात की सबूत है कि वहां कागजों में सिक्योरिटी दी जा रही है। यानी कि देश के वैज्ञानिकों को IIT सुविधा के नाम पर झुनझुना दे रहा है।

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि फैकल्टी अपार्टमेंट के वार्डन स्वयं वहां रुकना पसंद नहीं करते। बिहार के रोहतास जिले से आकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फैकल्टी अपार्टमेंट बनाने के लिए चाहे जितना घटिया कार्य कराया गया हो, ठेकेदार ने निदेशक का बंगला बनाने में कोई चूक नहीं की है। बकौल छात्र, अगर IIT के इस फैकल्टी अपार्टमेंट का भौतिक सत्यापन और किसी बड़ी एजेंसी से जांच कराई जाए तो CPWD और IIT के अफसरों की मिलीभगत से हुए बड़े घोटालों का राजफाश हो जाएगा।

करीने से सजाया गया है निदेशक का बंगला

‘IIT बाहर जाओ’ का नारा लगा रहे छात्रों का कहना है कि जिस तरह फैकल्टी अपार्टमेंट में घटिया निर्माण हुआ। उसके उलट, निदेशक का बंगला बनाने में CPWD ने काफी मेहनत की। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की तरह ‘ईमानदार’ निदेशक ने बंगला बनवाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इस मुताबिक जब डायरेक्टर प्रमोद कुमार जैन और रजिस्ट्रार रंजन श्रीवास्तव से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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छेड़छाड़ से आगे की कोई घटना तो नहीं

जिस तरह से IIT-BHU प्रशासन इस बड़ी घटना पर ढुलमुल रवैया अपना रहा है, उससे सवाल उठता है कि कहीं निर्वस्त्र कर घुमाने से आगे की घटना तो नहीं है। शंका-आशंका अब सिर उठाने लगी है कि कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्थानीय क्षेत्र होने के कारण यह बदनुमा दाग धुलने के लिए IIT प्रशासन और स्थानीय प्रशासन में गठजोड़ तो नहीं हो गया। अंदरखाने अब खुसुर-पुसुर होने लगा है कि लड़की के साथ गैंगरेप जैसी घटना हुई है। स्टूडेंट्स पार्लियामेंट के आह्वान पर एक दिन पहले यानी बुधवार को निदेशक के कार्यालय पर छात्रों का धरना शुरू हुआ था। दोपहर होते-होते वहां हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित हो गईं और परिसर में तीन किमी की जस्टिस रैली निकाली गई। छात्र हैदराबाद गेट और विश्वेश्वरैया चौराहे से होते हुए डायरेक्टर दफ्तर पर पहुंचे और धरना शुरू कर दिया।

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