डुमरियागंज में सिर्फ जगदंबिका पाल

यशोदा श्रीवास्तव

2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अटकलें,संशय और संभावनाओं का बाजार गर्म है। इंडिया वर्सेज एनडीए को लेकर हर ओर बहस जारी है। इस सबके बीच डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद जगदंबिका पाल को लेकर संसदीय क्षेत्र के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में कराए गए सर्वे में में दूसरे दलों का नाम तक लेने वालों की संख्या न के बराबर है। हैरत है कि भाजपा से तमाम विरोधों के बीच संसदीय क्षेत्र के 18 फीसद मुस्लिम वोटरों ने जगदंबिका पाल के पक्ष में सकारात्मक राय जाहिर की और इन वोटरों ने साफ कहा कि यदि विपक्ष से कोई ऐरा गैरा चेहरा आता है तो जगदंबिका पाल उनके पहले पसंद होंगे।

पाल के बारे में यह सर्वे इंडिया गठबंधन के बाद आठ जुलाई से लेकर बीस अगस्त तक कराया गया। सर्व में पांचों विधानसभा क्षेत्र के 3800 लोगों की राय ली गई जिसमें सात सौ मुस्लिम समाज के लोग थे। सर्वे में सभी समाज के लोगों से बात करने की कोशिश की गई। पाल के पक्ष में खुलकर बोलने वालों में कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र के लोग सर्वाधिक रहे। खास बात यह है कि इसी विधानसभा क्षेत्र के अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने भी पाल को बेहतरीन सांसद बताया। शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने पाल को अपने इलाके का रेल मंत्री कहते हुए कहा कि आज उन्हीं की देन है कि हमें मुंबई, दिल्ली के लिए गोरखपुर, गोंडा तक भटकना नहीं पड़ रहा। बढ़नी कस्बे के व्यापारियों ने कहा कि हमारा व्यापार सुगम और व्यवस्थित हुआ है।

संसदीय क्षेत्र का डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र जो सदैव ही धारा के विपरीत रहता है, वहां के लोगों ने कहा कि जबतक विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार का चेहरा सामने नहीं आता तब तक पाल के बारे में अलग राय जाहिर करना मुश्किल है। यहां हल्लौर कस्बे के सिया समाज के लोग पाल के पक्ष में खुलकर बोलते नजर आए। सर्वे में भाजपा को बीच में नहीं लाया गया। यह सर्वे पूर्णतया व्यक्तित्व पर आधारित था लेकिन इटवा विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने जिसमें ब्राम्हण समाज के लोग अपेक्षाकृत ज्यादा थे कहा कि भाजपा का चेहरा सामने आने के बाद सोचा जाएगा। इस क्षेत्र के ब्राम्हणों में प्रत्याशी बदलने की आश है। क्षेत्र के ज्यादा तर लोगों ने पाल को सर्वसुलभ सांसद बताया।
बांसी विधानसभा क्षेत्र में सर्वे के दौरान इंडिया गठबंधन उम्मीदवार पर लोगों की राय सामने आई लेकिन जब गांव में जाकर खेत में काम कर रहे मजदूरों और किसानों से बात हुई तो तमाम लोगों ने मोदी का नाम लिया और तमाम लोगों ने पाल का नाम लिया। विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के ब्राह्मण वोटरों ने सपा के पक्ष में खुलकर वोट किया था, वे इसे स्वीकार भी करते हैं लेकिन लोकसभा में उन्होंने भाजपा को बेहतर विकल्प माना।

जगदंबिका पाल यूपी के डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार सासद हैं। 2009 में वे बस्ती से आकर यहां पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे।बस्ती विधानसभा क्षेत्र से जगदंबिका पाल चार बार विधानसभा के सदस्य चुने गए। विधानसभा में रहते हुए पाल कई बार मंत्री रहे और एक बार तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी दांव लगा दिए। जगदंबिका पाल 2004 में डुमरियागंज संसदीय सीट से पहली बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े। इस चुनाव में पाल को हार मिली थी लेकिन तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक वोट पाकर यहां कांग्रेस को पुर्नजीवित कर दिया था। अंततः 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के टिकट से जीत मिली।

2014 के लोकसभा का चुनाव आते आते उनका कांग्रेस से अनबन हो गया और वे भाजपा में शामिल हो गए। खाटी कांग्रेस पृष्ठिभूमि वाले पाल का भाजपा में जाना अचरज भरा रहा लेकिन वे गए। वे दो बार से इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं। पाल चाहे भाजपा में हों या कांग्रेस में, उन्हें अपने ही दल के लोगों से जंग लड़नी पड़ी है। उन्हें जब 2014 में पहली बार भाजपा से टिकट मिला तब उन्हें भाजपा के लोगों का ही भारी विरोध का सामना करना पड़ा। बांसी के भाजपा विधयक जय प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी को पाल के खिलाफ कांग्रेस से मैदान में उतार दिया। पाल का राजनीतिक कौशल ही था कि निहायत विपरीत परिस्थतियों में भी उन्होंने जीत हासिल की। पाल की खासियत है कि अपनों के लाख विरोध के बावजूद उन्होंने कभी उन “अपनों” को अपना विरोधी नहीं माना।

लगातार तीन बार से डुमरियांज संसदीय क्षेत्र का देश के उच्च सदन में प्रतिनिधित्व कर पाल ने अपने क्षेत्र की जनता को परिवर्तन की अनुभुति खूब करवाया। पाल की लोकप्रियता का आलम यह है कि12 से 20 साल के बच्चा भी पाल के बारे में ऐसे बात करेगा जैसे उनका उन बच्चों के घर लगातर आना जाना हो। जिले के अधिकांश लोग आपस में चर्चा करते हैं कि आखिर पाल सोते कब हैं? पाल कहीं भी रहें लेकिन यदि किसी के यहां किसी कार्यक्रम में पंहुचने की हामी भर रखी है तो वहां नियत समय पर पहुंचते जरूर हैं। पाल की खासियत उनके विरोधियों को मात देते रहने में सहायक होती रही है।

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