- विपक्षी पार्टियों के लिए मशक्कत का दौर, कई छोटी पार्टियों में टूट-फूट शुरू
- राजभर को लेकर सपा संगठन में जबरदस्त खींचतान, एक ही सवाल- कहां जाएंगे विधायक
भौमेंद्र शुक्ल
लखनऊ। यूं तो विपक्षी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मिशन-2024 कड़ी परीक्षा बता रहे हैं, लेकिन मोदी के चेहरे की दमक और दो दिन पहले 18 जून के ‘मन की बात’ के दौरान उभरी चेहरे की चमक बता रही है कि मिशन-2024 के लिए उनके नेतृत्व में भाजपा पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने टिफिन बैठक, भोजन मंत्र और महाजनसम्पर्क अभियान के जरिए आम जन तक पहुंचने का रास्ता तैयार करना शुरू कर दिया। करीब छह साल पहले वीवीआईपी कल्चर (लाल-नीली बत्ती) तोड़ने वाले मोदी ने इस चुनाव के पहले नेता, मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, कार्यकर्ता और आमजनता को एक बराबर लाकर खड़ा कर दिया है। वहीं विपक्षी पार्टियां अपने दल के टूट-फूट को संवारने में व्यस्त हैं। सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) के कई नेता BJP के सम्पर्क में हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से एलायंस खत्म कर सपा के साथ गए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SPSP) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर स्वयं बीजेपी से प्यार के पींगे बढ़ा रहे हैं।
टिफिन बैठक और साथ भोजन करने से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह जगेगा? सुनने में आपको भले ही अजीब लगे लेकिन यह बात सोलह आने सच है। कुछ दिनों पहले केंद्रीय मंत्री एस. जयशंकर वाराणसी दौरे पर थे। वह अपनी टीम के साथ एक नेता के घर भोजन करने गए। वहां जो कुछ दिखा वह गौर करने वाली बात है। केंद्रीय मंत्री के साथ एमएलसी सुभाष यदुवंश और आम नेता सभी ने जमीन पर बैठकर भोजन किया। मतलब साफ कि सभी एक साथ-एक जगह और एक हैसियत में। भाजपा को पता है कि 2024 का मिशन कार्यकर्ताओं के उत्साह से ही जीता जा सकता है। ऐसे में दिल्ली के राष्ट्रीय नेताओं को भी ग्राउंड पर उतारा गया है। उसी उत्साह को भरने के लिए भाजपा के बड़े-बड़े पदाधिकारी और मंत्री कार्यकर्ताओं के साथ समय बिता रहे हैं। साथ ही वह पूरे भोजन के दौरान आपस में बात करने नजर आएं। यानी अब ‘चाय की चर्चा’ बदलकर ‘भोजन पर चर्चा’ हो चुकी है।
वहीं सूत्रों का दावा है कि BJP नेतृत्व मिशन-2024 के लोकसभा चुनावों के पहले विभिन्न स्तरों पर नई टीम की योजना पर काम कर रहा है। यह बदलाव संगठन से लेकर राज्य सरकारों तक दिखना तय है। केंद्रीय संगठन समेत कुछ राज्यों में बदलाव हुए भी हैं। आने वाले समय में हर राज्य के चुनाव के साथ वहां पर इसी तरह के परिवर्तन किए जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल के साथ-साथ मीडिया, प्रकोष्ठों और मोरचों में नए पदाधिकारी कुछ दिन बाद ही दिखाई पड़ने वाले हैं। पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी और काबीना मंत्री में कोई फर्क कभी नहीं समझा। सभी पदाधिकारियों को नेतृत्व से साफ कहा गया है कि आमजन से मिलने में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। इसी का परिणाम है कि मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक के साथ-साथ जिलाधिकारी भी जनता दरबार लगाता है।
यह कथा आज की नहीं है। पार्टी ने हैदराबाद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में साफ कर दिया था कि लम्बे समय तक सत्ता में रहना है तो बदलाव की कार्ययोजना को साकार करना होगा। वैसे भी पार्टी ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से ही धीरे-धीरे इस दिशा में बढ़ना शुरू कर दिया था। पार्टी की कमान जेपी नड्डा को सौंपने के बाद केंद्रीय पदाधिकारियों और उसके बाद केंद्रीय संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति के बदलाव इसी दिशा में थे। यह बदलाव केवल उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों में दिखाई पड़ेगा। यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली नई सरकार के गठन में भी कुछ बदलाव देखने को मिले थे। सरकार के नामित दोनों प्रवक्ता (सिद्धार्थनाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा) को पार्टी ने सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके अलावा कई और मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। बदले में जेपीएस राठौर और दयाशंकर सिंह जैसे संगठन के तपे-तपाए पदाधिकारियों को सरकार में कार्य करने का मौका भी मिला था।
वरिष्ठ भाजपा नेता नवीन श्रीवास्तव कहते हैं कि सरकार और संगठन में बदलाव को राजनीतिक चश्मे से न देखिए। यह सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जनता तक पहुंचने के लिए शीर्ष नेतृत्व से साफ संदेश दिया है। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और भाजपा-सरकार द्वारा देश और संस्कृति के सुधार के अपने वादे को पूरा करने के लिए किए गए कार्यों के बारे में बताया जाएगा।
बदलाव की इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दो साल पहले उत्तराखंड में भी सत्ता व संगठन में नए नेतृत्व को सामने लाया गया था। गुजरात में विधानसभा चुनाव से ठीक साल भर पहले पूरी सरकार को बदल कर बड़ा बदलाव किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई मंत्री चुनाव मैदान में भी नहीं उतर पाए थे। सूत्रों का कहना है कि साल 2024 के रण से पहले यूपी में संगठन से लेकर सरकार में कई परिवर्तन देखने को मिलेंगे। कई विधायक सांसद बनकर दिल्ली पहुंच जाएंगे। कई मंत्री सरकार से हटकर संगठन में अपनी सेवाएं देते नजर आएंगे। सूत्रों का कहना है कि संगठन से बड़े मंत्री पद पर गए एक नेता को दोबारा संगठन में बड़ा पद देने की संभावना बन रही है। सूत्रों के अनुसार बीजेपी आलाकमान मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बरसों से जमे कई नेताओं को इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतार रहा है। बाद में उनको लोकसभा या राज्यसभा में लाया जा सकता है, ताकि राज्य में नए नेतृत्व को सामने लाया जा सके। बिहार व झारखंड में भी निकट भविष्य में बड़े बदलाव होने की संभावना है।
टिफिन बैठक से क्या संदेश देना चाहती है भाजपा
मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा सभी विधानसभाओं में ‘टिफिन बैठक’ कर रही है। इसे समझने के लिए आपको कुछ साल पीछे लौटना पड़ेगा। सनातन परम्परा में पूरे परिवार को एक साथ बैठकर भोजन करने की परम्परा रही है। बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि इससे परिवार में आपसी भाईचारा और प्रेम बढ़ता है। टिफिन बैठक, इन दो शब्दों की इस रणनीति के कई फायदे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री या दूसरे नेता सभी अपने घर से टिफिन लाकर भोजन करते दिखाई दे रहे हैं। BJP ने इस बैठक से यह साफ संदेश दे दिया कि नेता और कार्यकर्ता में कोई फर्क नहीं है। यही कारण है कि टिफिन बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड, असम के सीएम (पुष्कर सिंह धामी और हिमंत विस्वशरमा) भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन खोलते दिखाई दे रहे हैं। सभी लोग घर से लाए टिफिन को आपस में साझा कर विभिन्न प्रकार के भोजन का आनंद लेते हैं साथ ही कार्यकर्ताओं में पारस्परिक सद्भाव, आपसी समन्वय और सहयोग की भावना को जागृत करते हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने टिफिन बैठक की तस्वीरें शेयर करते हुए कहा कि बीजेपी पार्टी नहीं परिवार है। जमीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ता ही भाजपा की पहचान हैं। BJP आगामी समय में चार हजार से ज्यादा टिफिन बैठकें करने वाली है। इन बैठकों में विधानसभा स्तर पर होने वाली बैठकों में मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करने के साथ ही कार्यकर्ताओं से कई अन्य मसलों पर भी बात हो रही है। साथ ही 16 लाख कार्यकर्ताओं को भाजपा ने फील्ड में उतार दिया है। वहीं पार्टी के पदाधिकारी देश भर के पांच लाख वीवीआईपी यानी अवार्ड प्राप्त समाज में सर्वमान्य लोगों को अपनी पार्टी से जोड़ने जा रही है। मतलब साफ कि पार्टी ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का नया फॉर्मूला बना लिया और उनमें जोश जगा रही है।