डॉ दिलीप अग्निहोत्री
लखनऊ। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल विश्वविद्यालयों को अपना द्रष्टि कोण व्यापक बनाने की प्रेरणा देती हैं। इसमें शिक्षा के साथ ही सामाजिक सरोकार भी शामिल हैं। विश्वविद्यालयों को ऐसी गतिविधियों का संचालन करना चाहिए। इनमें विद्यार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। जिससे उन्हें शिक्षा के साथ समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्व निर्वाह की सीख मिलेगी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। विश्वविद्यालयों को अपना स्थापना दिवस मनाते समय अपनी प्रगति के साथ-साथ विद्यार्थियों की प्रगति को भी आंकना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युवाओं को देश का कर्णधार मानते हैं।वह चाहते हैं कि देश में विकास की जो नींव रखी गयी है, हमारे भविष्य के कर्णधार उसे समग्र रूप से विकसित कर भारत की इमारत खड़ी करें।
उन्होंने कहा कि हमारे कार्यों के लक्ष्य में हमारे विद्यार्थियों और देश के विकास का उद्देश्य होना चाहिए। विश्वविद्यालय का काम विद्यार्थियों को मात्र डिग्री या सार्टिफिकेट देना नही है, ना ही शिक्षा का मकसद सिर्फ डिग्री प्राप्त करना है। शिक्षा के दौरान ही विद्यार्थियों में विविध क्षमताओं का विकास, परिसर से बाहर की गतिविधियों में विद्यार्थियों की प्रतिभागिता,व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ उनमें विविध प्रकार के कौशल विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रतिभागिता पर ध्यान देना चाहिए। आनंदीबेन पटेल की प्रो राजेन्द्र सिंह रज्जू भय्या विश्वविद्यालय, प्रयागराज के सातवें स्थापना दिवस समारोह को राजभवन से ऑनलाइन संबोधित किया। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ देश में नैतिकता का प्रसार, विद्यार्थियों में सद्गुणों का विकास भी जरूरी बताया। राज्यपाल ने कहा कि कमजोर विद्यार्थियों, दूर-दराज के क्षेत्रों में अवसर के आभावों आवासित विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए उनको भी विश्वविद्यालय को कार्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।
विश्वविद्यालय में मनाये जा रहे योग-सप्ताह में भी अधिक से अधिक विद्यार्थियों को जोड़ना चाहिए। योग को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। उन्होंने इस बार योग सप्ताह पर विश्वविद्यालय में नशा मुक्ति के लिए किए गए हवन को संकल्प की तरह आजीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने मुक्त विश्वविद्यालयों को दसवीं अथवा बारहवीं कक्षा में फेल होने के कारण अथवा अन्य परिस्थितियों में पढ़ाई छोड़ चुके विद्याथियों को भी अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों से जोड़ने, उनमें कौशल विकास का संवर्द्धन करके रोजगार परक योग्यता विकसित करने पर जोर दिया।राज्यपाल ने विश्वविद्यायों द्वारा नैक ग्रेडिंग हेतु की जा रही तैयारियों से गुणवत्तापरक बदलावों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों में आपस में बढ़ी साझेदारी और सामन्जस्य का भी उल्लेख किया।