बाप ने बेटियों के नाम कर दी पैतृक संपत्ति,

न्याय की आश में बेटा लगा रहा कोर्ट कचहरी का चक्कर


विजय श्रीवास्तव


सिद्धार्थनगर। बलरामपुर जिले से जुड़ा जमीन विवाद का एक मामला खूनी रिश्ते को तार तार करने की वजह बन सकता है। हैरत है इस मामले में पुलिस भी बिना मामले की गंभीरता समझे केवल एक पक्ष की मदद पर उतारू है। घटना की पृष्ठभूमि में एक पिता द्वारा अपने बेटे,बहु और पोते पोतियों की अनदेखी कर बेटियों के नाम पैतृक संपत्ति का बैनामा कर देना है।
सिद्धार्थनगर जिले के त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव है बुढ़ऊ ! यहां यदुनंदन लाल अपने दो बेटियों के साथ रहते हैं। जबकि उनका एक मात्र पुत्र कृष्णबहादुर बलराम पुर जिले के भगवान पुर खादर गांव में रहता है। इसी गांव में यदुनंदन की पैतृक 40 बीघे जमीन भी है। कृष्ण बहादुर ही बलरामपुर जिले के भगवान पुर खादर गांव में खेती बाड़ी की देख भाल करते थे।

पिता यदुनंदन ने 2013 मेंअपनी एक बेटी की शादी बनारस कर दिए जबकि दूसरी बेटी अविवाहित है। इस बीच यदुनंदन की पत्नी की मृत्यु हो गई। पिता की कथित देखभाल के बहाने शादी के बाद भी बड़ी बेटी बुढ़ऊ गांव में पिता के साथ रहती है। यदुनंदन की शादी शुदा बेटी ने जून 2022 को अपने पिता को गुमराह कर दान पत्र के जरिए पिता के नाम की संपत्ति अपनी अविवाहित बहन व अपने नाम करा लिया। इस बात की जानकारी जब पुत्र कृष्ण बहादुर को हुई तो वह कूटरचित कर बहनों द्वारा हड़पी गई संपत्ति को बचाने के लिए भाग दौड़ शुरू किया। उसने तहसीलदार तुलसीपुर के यहाँ वाद दायर किया जहां से उसे स्टे मिल गया और उसने ग्राम न्यायालय मे दानपत्र बैनामा खारिज करने के लिए दीवानी मुकदमा दाखिल किया है।

भगवानपुर खादर के मौजूदा प्रधान बेकारू,सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन यादव , वरिष्ठ नागरिक अब्दुल रशीद, शेखर , मंटू भैया, गुठई ,मनीराम, मथुरा आदि दर्जनों ने बताया यदुनंदन के नाम की इस गांव की 40बीघा जमीन व ग्राम धंधरा जनपद सिद्धार्थ नगर की सभी जमीन व मकान खानदानी वह पैतृक है, जिसे लडकियों ने पिता से दानपत्र बैनामा अपने नाम करवाकर सगे भाई भतीजों को भूमिहीन कर दिया है। ऐसा मामला संभवतः दो चार जिलों मे अजीबोगरीब और पहला है। लोगों का कहना है कि इससे समाज मे भाई बहन जैसे पवित्र रिश्ते भी संदेह की दृष्टि से देखें जाने लगेंगे। समाज का ताना बाना बिखर जाएगा।

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लोगों का कहना है कानून कुछ भी कहे परन्तु पैतृक जायदाद मे पत्नी बेटा बेटी सभी का समान अधिकार होना चाहिये अगर पिता ने अपने नौकरी य व्यापार से जायदाद खरीदा है तो उसे संपूर्ण जायदाद किसी भी गैरों को बेंचने, वसीयत करने का अधिकार है लेकिन पूर्वजों की पैतृक संपत्ति वंशावली के हिसाब विभाजित होने की परंपरा भी है और कानून भी। उक्त संबंध में कृष्णबहादुर का कहना है जायदाद मे हम तीन भाग करने को तैयार हैं। एक एक भाग शादीशुदा व अविवाहित बहने ले ले केवल एक भाग हमे दे दें, कोई एतराज़ नहीं है। वहीं बहनों का कहना है हमारे पिता हम बहनो को संपूर्ण जायदाद दानपत्र बैनामा कर गये हैं। भाई को सूई के नोक भर भी जमीन जायदाद नही देंगे ।

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