- पुलिस पर भारी हैं अपराधी
- चार सनसनीखेज वारदात बनी चुनौती
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। अपराध-अपराधियों पर नकेल कसने और उनकी धरपकड़ के लिए पुलिस के आलाधिकारियों ने कई तरह की योजनाएं बनाई, लेकिन पुलिस पर लुटेरों व हत्यारों का नेटवर्क भारी पड़ रहा है। एक दिसंबर 2017 को बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी का दाहिना हाथ माने जाने वाले तारिक को गोमतीनगर क्षेत्र स्थित ग्वारी गांव के पास असलहों से लैस बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियों से छलनी कर मौत की नींद सुला दिया था। दूसरी घटना 27 फरवरी 20215 को हसनगंज क्षेत्र के बाबूगंज स्थित HDFC बैंक की एटीएम मशीन के बाहर असलहों से लैस बदमाशों ने सिलसिलेवार गोलियों की बौछार कर एक कस्टोडियन सहित तीन लोगों को मौत के घाट उतार कर सनसनी फैला दी थी। पांच मार्च 2016 को विकासनगर सेक्टर तीन में बाइक सवार शूटरों ने मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पजीत सिंह व उसके साथी संजय की गोली मारकर हत्या कर दी।
इसी दिन गोमतीनगर के मिठाई वाला चौराहे पर कार सवार युवक ने इंदिरा नगर निवासी रितेश अवस्थी के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुला दिया। रितेश का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने बदमाशों की कार की बोनट पर हाथ रख दिया था। इन मामलों में कातिलों की गर्दन तक पहुंचने के लिए पुलिस असली तक पहुंचने के लिए पुलिस ने स्केच बनाने से लेकर कई तरह की राजनीति तैयार की लेकिन आज तक पुलिस इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई कि आखिर इनका कातिल कौन है। शहर में हुई ये घटनाएं लोगों को दहशत में ही नहीं डाला बल्कि अफसोस में डाल दिया कि आखिर सुरक्षित कैसे रहें? पहेली बनी इन वारदातों का खुलासा करने के लिए अब तक दो-चार नहीं संदेह के दायरे में आए कईयो लोगों को हिरासत में लेकर गहनता से छानबीन करने का दावा किया, लेकिन कातिलों का कुछ सुराग नहीं मिल सका। इस मामले में सवाल करने पर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कातिलों की गर्दन तक पहुंचने के लिए पुलिस की टीमें लगी हुई हैं और उम्मीद है कि जल्द ही पकड़ लिए जाएंगे।