सटीक रहे आकलन!

के. विक्रम राव
के. विक्रम राव

यूं पर्यवेक्षेकों का मानना है कि पार्टी मात्र एक प्रतिशत वोट पानेवाली आम आदमी पार्टी अगर न लड़ती तो भाजपा शायद जीत जाती। एक प्रतिशत वोट के अंतर से ही दोनों दलों में जीत हार का फैसला स्पष्ट हो गया था। पन्द्रह सीटों पर पड़े वोटों से शकल ही बदल जाती। गुजरात में भाजपा को मिले अपार बहुमत से दो वर्ष बाद होने वाले लोकसभा निर्वाचन का अत्यधिक महत्व हो गया है। गत संसदीय चुनाव में भाजपा ने गुजरात से सारी सीटें जीती थी। अब विधानसभा वोट के फलस्वरुप स्थिति नयी बनी है। कुल 182-संसदीय विधानसभा 150 सीटें जीतकर भाजपा ने सभी संदेहों को मिटा दिया है। मोदी का सूत्र “नया गुजरात मैंने गढ़ा है,” बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ। जनता मुदित थी। कांग्रेसी मुख्यमंत्री स्वर्गीय माधवसिंह सोलंकी के 149 वाली संख्या से भी भाजपा इस बार आगे बढ़ गई।

गमनीय तथ्य यह है कि आदिवासी, दलित, पिछड़े जाति ने जमकर मोदी के नाम पर वोट डाला है। मोदी की 2002 वाली छवि को भूलकर मुसलमानों ने भी बड़े पैमाने पर कमल पर निशान लगाया। मशहूर वोट-काटू असउद्दीन ओवैसी लेशमात्र तोड़फोड़ नहीं कर पाए। सर्वाधिक ध्यानवाली सीट मोरबी थी जहां के पुल दुर्घटना का विपक्ष ने खूब प्रचार किया था। वहां पर भी भाजपा जीती। यहां से कांतिलाल अमृत्य के समर्थकों ने प्रचार किया था कि टूटे पुल से छलांग लगाकर इस प्रत्याशी ने कइयों की जाने बचाई थी। नतीजन वोटर झूमकर मतदान करने गए थे। उन्होंने बासठ हजार वोटों से सोनिया-कांग्रेसी प्रतिद्वंदी जयंतीलाल पटेल को शिकस्त दी। बहुत वोट खुद भाजपा ने पाये। अमृत के कीर्तिमान का यश इतना व्यापक था कि कांग्रेसी प्रचारक द्वारा मोरबी का नाम ही नहीं ले पाए।

प्रधानमंत्री ने विधानसभा चुनाव के ठीक 15 माह पूर्व विजय रूपानी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर भाजपा की छवि सुधार ली। अक्षम सीएम के कारण जनाक्रोश काफी व्यापक था। ऐन वक्त पर भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को लाकर आम जन का रोष शांत कर दिया। रूपानी को विधान सभा का टिकट तक नहीं दिया गया। नतीजन 15 वीं विधानसभा में 105 नए चेहरे हैं। इनमे 14 महिलायें हैं। एक मुसलमान है। यदि ठीक ऐसा ही प्रयोग हिमाचल प्रदेश में भी मोदी करते, जयराम ठाकुर को हटाकर, तो भाजपा इस पर्वतीय राज्य में एक प्रतिशत से अधिक वोट पा कर संभवतः सत्ता पर स्वयं आ जाती। उत्तर प्रदेश के तीनों उपचुनाव भी बड़े महत्वपूर्ण थे। खासकर योगी शासन के लिए। इसमें रामपुर शीर्ष पर था फिर इसे जीतकर भाजपा ने शक्ति का स्पष्ट संकेत दिया है। अब राजनीति पंडित जन आकलन करें।

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