डॉ. ओपी मिश्र
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते मैनपुरी में पांच दिसंबर को उपचुनाव होगा। यह उपचुनाव समाजवादी पार्टी के अस्तित्व तथा अखिलेश यादव के नेतृत्व क्षमता का विस्तार करेगा ऐसा राजनीतिक पंडितों का अनुमान है। वैसे यहां चुनाव तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव लड़ रही है। लेकिन उसके केंद्र में सैफेई का पूरा यादव परिवार है। इन पंक्तियों के लेखक ने लगातार तीन दिनों तक क्षेत्र का भ्रमण करने के बाद पाया कि लड़ाई चाहे जितनी कड़ी टक्कर की हो लेकिन अंतत जीत डिंपल यादव की ही होगी।
आप कहेंगे कि ऐसा डंके की चोट पर कैसे कहा जा सकता है। तो उसका जवाब है कि मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के मतदाता सपा प्रत्याशी डिंपल यादव जो उनकी बहू, बेटी और भाभी हैं को केवल थोक में वोट नहीं दे रहे हैं। बल्कि वोट के बहाने वे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि भी दे रहे हैं। यही कारण है कि इस बार यहां न जाति महत्व रख रही है और ना ही मुद्दे। यहां अगर इस बार कुछ है तो वह है अपने दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि। यह श्रद्धांजलि केवल यहां का मतदाता ही नहीं दे रहा है। बल्कि भाजपा का हाईकमान भी अप्रत्यक्ष रूप से ‘बहु ‘ को आशीर्वाद तथा नेताजी को श्रद्धांजलि देने का मन बना चुका है।
ऐसे में यह कहना कि ऊंट किस करवट बैठेगा निहायत ही गलत सवाल है क्योंकि इस उपचुनाव में ऊंट बैठे या ना बैठे लेकिन साइकिल जरूर दौड़ेगी। इन पंक्तियों के लेखक ने शाक्य, यादव , मुस्लिम तथा दलित मतदाताओं से बात करने के बाद पाया कि संघ तथा भाजपा से जुड़े कट्टर लोगों को छोड़कर अधिकांश मतदाता जिनका अनुपात 55 प्रतिशत के करीब है सपा प्रत्याशी को वोट दे रहे हैं। मतदाताओं का कहना था कि अगर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह की पुत्रवधू के स्थान पर कोई और सपा प्रत्याशी होता। तो चुनाव परिणाम वह ना होता जो होने वाला है। जान ले कि चूंकि यहां बसपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं है इसलिए जाटव वोटों का एक बड़ा हिस्सा सपा के पक्ष में मतदान करने का मन बना चुका है।
जसवंत नगर क्षेत्र के यादव मतदाताओं ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि यदि प्रसपा अध्यक्ष तथा यहां के विधायक शिवपाल यादव भी सपा प्रत्याशी तथा अपनी बहू डिंपल यादव का विरोध करते तो उनकी फजीहत ज्यादा होती है। यह पूछने पर कि यदि शिवपाल यादव भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में होते तो उनका रुख क्या होता? जसवंत नगर क्षेत्र के मतदाताओं ने कहा कि तब वोट बट जरूर जाता लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा डिंपल यादव को जाता। भाजपा प्रत्याशी के बारे में सवाल करने पर करहल और भोगांव क्षेत्र के मतदाताओं का कहना था कि वे केवल चुनाव लड़ने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। ताकि 2024 की दावेदारी पक्की हो। इस चुनाव में उन्हें कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है, क्योंकि यह चुनाव इकतरफा है। मैनपुरी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा समर्थित मतदाताओं का कहना था कि यदि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यहां सभा नहीं हुई तो हम लोग समझ लेंगे कि भाजपा हाईकमान भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव को ‘ओब्लाइज’ करना चाहता है। इसके बावजूद हम लोग वोट भाजपा को ही देंगे।