नई दिल्ली: आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे गंभीर आतंकी हमलों में से एक, संसद भवन हमले की 24वीं बरसी है। 13 दिसंबर 2001 को हुए इस कायराना हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। आतंकियों का मकसद देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था को निशाना बनाना था, लेकिन सुरक्षा बलों के अदम्य साहस और बलिदान ने इस साजिश को नाकाम कर दिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नेता विपक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत कई प्रमुख नेताओं ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी ने एक स्वर में सुरक्षाबलों के साहस और बलिदान को नमन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि देश उन वीरों को याद कर रहा है जिन्होंने संसद पर हुए भीषण हमले के दौरान अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में भी जवानों की सतर्कता और कर्तव्यनिष्ठा अतुलनीय थी और भारत हमेशा उनके बलिदान का ऋणी रहेगा।
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गृह मंत्री अमित शाह ने इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने अपने शौर्य से लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की और आतंकियों को करारा जवाब दिया। अमित शाह ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि राष्ट्र उनके त्याग को कभी नहीं भूलेगा। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका बलिदान देशवासियों को देशप्रेम और एकता की प्रेरणा देता रहेगा।
13 दिसंबर 2001 की सुबह आतंकियों ने सफेद एम्बेसडर कार के जरिए संसद परिसर में घुसने की कोशिश की थी। शुरुआती धोखे के बावजूद, सुरक्षाबलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आतंकियों को संसद भवन में घुसने से पहले ही मार गिराया। इस मुठभेड़ में कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, लेकिन उन्होंने देश की गरिमा की रक्षा की।
