रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के बीच अमेरिका ने भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी की साउथ एंड सेंट्रल एशिया सब-कमेटी 10 दिसंबर को एक सार्वजनिक हियरिंग आयोजित करने जा रही है। इसका टाइटल है – “The US–India Strategic Partnership: Securing a Free and Open Indo-Pacific”। मिशिगन के सांसद बिल ह्यूजेंगा की अध्यक्षता वाली यह बैठक भारत-अमेरिका के रक्षा, आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों की दिशा पर गहन चर्चा करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टाइमिंग संयोग नहीं – पुतिन के दौरे से ठीक पहले आया यह ऐलान अमेरिका के लिए भारत को ‘रूस की ओर झुकाव’ से रोकने का स्ट्रैटेजिक मूव है।
हियरिंग में हेरिटेज फाउंडेशन के एशियन स्टडीज सेंटर डायरेक्टर जेफ स्मिथ, ORF अमेरिका के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ध्रुव जयशंकर और जर्मन मार्शल फंड के इंडो-पैसिफिक प्रोग्राम सीनियर फेलो समीर लालवानी जैसे प्रमुख भारतीय मूल के विशेषज्ञ गवाही देंगे। ये तीनों वॉशिंगटन में बेस्ड हैं और इंडो-पैसिफिक में भारत की बढ़ती भूमिका पर नजर रखते हैं। चर्चा का फोकस होगा: भारत का रक्षा आधुनिकीकरण, अमेरिका के साथ सैन्य इंटरऑपरेबिलिटी, तकनीकी सहयोग, क्षेत्रीय कूटनीति और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक को मजबूत करना।
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अमेरिकी कांग्रेस में भारत-अमेरिका साझेदारी को द्विपक्षीय समर्थन मिलता रहा है। सांसद नई दिल्ली को इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी का ‘मुख्य स्तंभ’ मानते हैं। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने iCET (Initiative on Critical and Emerging Technology) के तहत AI, क्वांटम टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर और डिफेंस इनोवेशन में सहयोग बढ़ाया है। समुद्री सुरक्षा, सप्लाई चेन रेजिलिएंस और क्रिटिकल टेक्नोलॉजीज पर फोकस से वॉशिंगटन के लिए भारत का महत्व और बढ़ गया है। हियरिंग सांसदों को नीतियों की जांच, चुनौतियों का आकलन और लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट मजबूत करने का मौका देगी।
यह घोषणा पुतिन के दौरे के बीच आई है, जहां मोदी-पुतिन S-400, Su-57 विमान, रडार सिस्टम और 100 अरब डॉलर व्यापार लक्ष्य पर चर्चा कर रहे हैं। यूक्रेन संकट के बीच भारत की रूस नीति संतुलित बनी हुई है, लेकिन अमेरिका को चिंता है कि रूस से तेल खरीद और डिफेंस डील्स से भारत ‘दूर’ न हो जाए। विशेषज्ञ कहते हैं, यह हियरिंग अमेरिका का ‘काउंटर मूव’ है – भारत को QUAD, I2U2 और बाइस्टेटिकोर स्ट्रैटेजी में बांधने का।
भारत-अमेरिका संबंध अब ‘कॉम्प्रिहेंसिव ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ के स्तर पर हैं। 2025 में दोनों ने 50 अरब डॉलर से ज्यादा द्विपक्षीय व्यापार किया। हियरिंग से नई पहलें निकल सकती हैं, जैसे डिफेंस को-प्रोडक्शन और स्पेस टेक शेयरिंग। फिलहाल, यह अमेरिका का संकेत है – भारत, हम साथ हैं, रूस के साथ बैलेंस रखो लेकिन इंडो-पैसिफिक में हमारी प्राथमिकता!
