- 19 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर ऐंठे 42.50
- खुद को सीबीआई अधिकारी बता पांच बार में स्थानांतरण कराई रकम
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। यूपी में साइबर जालसाजों का आतंक थम नहीं रहा है। अब कानपुर जिले में साइबर जालसाजों ने पॉवर ग्रिड कारपोरेशन से रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद को डिजिटल अरेस्ट कर करीब 19 दिन में 42.50 लाख रुपए की ठगी पुलिस को खुली चुनौती दे डाली। जालसाज ने खुद को पहले CBI अधिकारी बताकर डराया-धमकाया फिर मनी लॉड्रिंग मामले का हवाला देकर इंजीनियर को रौंब में लिया।
पुलिस को दी गई तहरीर में पीड़ित राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि अगस्त की 7 तारीख को उनके मोबाइल पर एक अनजान व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल रिसीव की तो उसने खुद को सीबीआई में तैनात IPS अधिकारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके मुंबई के एक बैंक में फर्जी खाता खोला गया है, जिसका उपयोग मनी लॉड्रिंग मामले में हुआ है।
जालसाज ने वीडियो कॉल पर उपस्थित रहने का दबाव बनाया। रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद काफी डर गए। इसके बाद ठग ने उनके डर का फायदा उठाया और कहा कि आप को लगातार वीडियो कॉल पर रहना होगा और इस अवधि में किसी से बात नहीं होगी. इसके बाद साइबर ठग ने पीड़ित राजेंद्र प्रसाद को कई बार कॉल किया।
जालसाज ने कहा कि जांच के दौरान उनके सभी खातों में जमा रकम आरबीआई के बताए गए खातों में ट्रांसफर करनी होगी। जांच प्रक्रिया पूरी होने पर 72 घंटे के अंदर उनका रुपया फिर खातों में वापस कर दिया जाएगा। जिसके बाद रिटायर्ड इंजीनियर ने 7 से 25 अगस्त के बीच 5 बार में कुल 42.50 लाख रूपए मुंबई के कई खातों में RTGS कर दिए। कुछ दिनों बाद जब कॉल आना बंद हो गया तो पीड़ित को खुद के साथ ठगी होने का एहसास हुआ। जिसके बाद पीड़ित ने पुलिस व साइबर सेल में शिकायत की। DCP साउथ दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। खुद को प्रभावशाली बताकर डर और भ्रम पैदा करके यह ठगी की गई है। साइबर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है।जांच की जा रही है।
