नया लुक ब्यूरो
कानपुर/देहरादून। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में हाथों से चौलाई और गुड़ के लड्डू बनाने वाले जल्द ही कम मेहनत में ज्यादा माल तैयार कर सकेंगे। ऐसा संभव होगा आईआईटी कानपुर के एक रिसर्च स्कॉलर द्वारा विकसित किए जा रहे उपकरण थे। प्रो. सत्यकी रॉय के अनुसार, फिलहाल मोल्ड (सांचे) काम चल रहा है। दरअसल, गुड़ की वजह से लड्डु बनाते समय काफी सामग्री सांचे में चिपक जाती है। ऐसे में लकड़ी, स्टील और अन्य धातुओं के सांचों को परखा जा रहा है।
ये भी पढ़ें
दो पतियों को छोड़ा,आशिक से हुयी गर्भवती…और मिली सड़ी-गड़ी लाश!
डिजाइन डिपार्टमेंट के हेड प्रो. सत्यकी रॉय ने बताया कि दो साल पहले एक पीएचडी स्टूडेंट के साथ शूटिंग के सिलसिले में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग गए थे। वहां, स्वयं सहायता समूहों के लोग केदारनाथ मंदिर में प्रसाद के तौर पर चढ़ाए जाने वाले लड्डू बनाते हैं। चौलाई और गुड़ से बनने वाले लड्डुओं को महिलाएं सांचे में डालकर हाथ से दबाती हैं। इसमें काफी मेहनत लगने के साथ ही हाथ में दर्द भी होने लगता है। इसे देखते हुए उपकरण तैयार करने का विचार आया।
ये भी पढ़ें
तैयार किए जा रहे उपकरण में लिवर-पुली मेकेनिज्म से ऊपर से हल्का सा दबाव डाला जाता हैं। नीचे 4-5 सांचों में सामग्री डालने के बाद दबाव डालते ही लड्डू तैयार हो जाते हैं। यह तरीका काफी सुविधाजनक है। स्कॉलर मिधुन की पीएचडी रिसर्च को डिजाइन इनोवेशन सेंटर स्पॉन्सर कर रहा है। मशीन के 7-8 प्रोटोटाइप तैयार किए गए हैं। रुद्रप्रयाग में कंचन और उनकी टीम की महिलाएं प्रोटोटाइप के टेस्ट और फीडबैक में मदद कर रही है। लकड़ी, एल्यूमिनियम और स्टील के सांचों में प्रयोग किए जा रहे हैं।
