- मल्हार में 200 ईसा पूर्व की विष्णु प्रतिमा
- गढ़धनोरा में मिली पांचवीं शताब्दी की चतुर्भुजी विष्णु प्रतिमा
- विष्णु की अधूरी अलंकृत प्रतिमा संग्रहालय में
हेमंत कश्यप
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश पुरातन मूर्तियों के मामले में काफी समृद्ध है। दुनिया में भगवान विष्णु की सबसे पुरानी प्रतिमा यहां के मल्हार में है, वही बस्तर के गढ़धनोरा में पांचवीं शताब्दी की दुर्लभ चतुर्भुजी विष्णु प्रतिमा मिली है। जगदलपुर संग्रहालय में भगवान विष्णु की ही 15वीं शताब्दी की एक अधूरी अलंकृत प्रतिमा भी संग्रहालय लाई गई है। यह तीनों प्रतिमाएं अपने आप में विलक्षण और दुर्लभ हैं।
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ईसा पूर्व निर्मित : उत्तर छत्तीसगढ़ के मल्हार में हजारों पुरानी मूर्तियां है। इन मूर्तियों के मध्य भगवान विष्णु की 2225 साल पुरानी दुर्लभ प्रतिमा संरक्षित है। पुरातत्व विभाग के अनुसार यह प्रतिमा 200 ईसा पूर्व की है। बताते चलें कि मल्हार से ही कन्याकुमारी अर्थात मां डीनडेश्वरी की दुर्लभ प्रतिमा चोरी चली गई थी, इसलिए विष्णु प्रतिमा की दुर्लभता को देखते हुए इसे संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। इसे दुनिया की सबसे पुरानी विष्णु प्रतिमा बताया गया है।
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गढ़धनोरा में कई विष्णु प्रतिमाएं
बस्तर संभाग में भी अनेक स्थानों पर भगवान विष्णु की प्रतिमाएं मिली हैं। सबसे पुरानी विष्णु प्रतिमा गढ़धनोरा में प्राप्त हुई है।चतुर्भुजी विष्णु की यह प्रतिमा पांचवीं शताब्दी की बताई जा रही है। जो राजिम के राजीवलोचन मंदिर स्थित विष्णु प्रतिमा से भी 200 साल पुरानी है। इसी तरह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्राम मावलीपदर में भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा है यह प्रतिमा 8वीं शताब्दी की बताई जा रही है। जिसे ग्रामीण मां दंतेश्वरी और भैरवदेव के नाम से पूजते आ रहे हैं।
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विलक्षण विष्णु प्रतिमा
गढ़धनोरा में ही काली चट्टान में उकेरी गई भगवान विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा अब संग्रहालय में सुरक्षित है। जो 15वीं शताब्दी की है जानकारी के अनुसार अलंकरण से अधूरी यह प्रतिमा अपने आप में विलक्षण है, चूंकि ऐसी विष्णु प्रतिमा पूरे छत्तीसगढ़ में और कहीं नहीं देखी गई है। पूरे छत्तीसगढ़ में भगवान विष्णु की अलग-अलग स्थान पर जो प्रतिमाएं मिली हैं । वह देश में पाई गई। दूसरी मूर्तियों से भिन्न है इसलिए इन्हें अति दुर्लभ प्रतिमाओ की श्रेणी में रखा गया है।
