- ऑस्ट्रेलिया के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ में किए गए एक अध्ययन ने चौंकाया
- कोरोना महामारी के कुछ बरसो बाद वैज्ञानिकों की नजर इसके ऐसे असर पर पड़ी है जो काफी चौंकाने वाले हैं
मेलबर्न। अपने दो वेब में पूरी दुनिया को घर के अंदर समेट चुके कोविड-19 को लेकर ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। अब एक नई रिसर्च सामने आई है, जो बताती है कि यह वायरस न सिर्फ संक्रमित व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि उसके बच्चों यानी अगली पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार पर भी असर डाल सकता है और वह भी तब जब संक्रमण प्रेग्नेंसी से पहले हुआ हो। ऑस्ट्रेलिया के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ में किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि COVID-19 संक्रमण पुरुषों के शुक्राणुओं में ऐसे बदलाव ला सकता है, जो बच्चे के दिमाग के विकास और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।
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यानी यदि आप गंभीर रूप से कोरोना से पीड़ित थे और आपके शरीर से पूरी तरह से कोरोना नहीं निकला था तो आप कभी बाप नहीं बन सकते। ये मेंटल हेल्थ के साथ साथ आपके सेक्सुअल लाइफ को भी डिस्टर्ब कर सकता है। यह आपके शुक्राणुओं को डिस्टर्ब कर सकता है। साथ ही यदि आपका बच्चा पैदा भी हो गया तो उस पर भी ये असर दिखाएगा।
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इसी बीच कुछ वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर भारत सरकार को आगाह किया था, लेकिन सरकार ने उनकी इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया था। सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिक सलाहकारों के एक मंच ने भारतीय अधिकारियों को मार्च में ही चेतावनी दी थी। उस वक्त देश में कोविड-19 का नया वेरियंट मिल चुका था।
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वैज्ञानिकों ने कहा कि चेतावनी के बावजूद, केंद्र सरकार ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाए। PM नरेंद्र मोदी और देश में सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेता और विपक्षी पार्टियों के नेताओं की राजनीतिक रैलियों और कुंभ जैसे धार्मिक समारोहों में लाखों लोग शामिल हुए।
