- एटा जेल में अनुरक्षण बजट की मची लूट!
- बैरकों की मरम्मत के बाद भी छतों से टपक रहा पानी
- जेल के अनुरक्षण कार्यों की जांच में हो सकता सच का खुलासा
नया लुक संवाददाता
लखनऊ। एटा जेल में सिद्धदोष बंदियों की जेल स्थानांतरण का मामला अभी सुलट भी नहीं पाया था कि एक नया सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जेल की जर्जर हो रही बैरकों के मेंटिनेंस के लिए आवंटित 30 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया। इस बजट की जेल अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों जमकर बंदरबांट हुई। इस बंदरबांट की वजह से जेल के बंदियों को बारिश के पानी में नहाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बैरेक की छतों से पानी टपकने की वजह से बंदियों को तमाम तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मजे के बात यह है कि जेल अधिकारी सब कुछ जानकर अंजान बने हुए है। इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो लूट का सच सामने आ जाएगा।
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मिली जानकारी के मुताबिक आगरा परिक्षेत्र की एटा जिला जेल में अधिकारियों की लूटपाट से अव्यवस्थाओं की भरमार है। करीब 600 बंदियों की क्षमता वाली इस कारागार में वर्तमान समय के करीब 1000 बंदी निरुद्ध है। कारागार में बंदियों के लिए बनी बैरकों की हालत अत्यंत जर्जर है। सूत्र बताते है बैरेक कि जर्जर हालत को सुधारने के पूर्व जेल अधीक्षक अमित चौधरी ने बजट की मांग की। शासन में अनुरक्षण के करीब नौ लाख रुपए की धनराशि आवंटित की गई। इस दौरान उनका तबादला हो गया। इसके बाद बैरकों की मरमत के लिए नई महिला जेल अधीक्षक ने बंदियों की समस्याओं का हवाला देते हुए धनराशि की मांग की। शासन ने बैरकों की मरम्मत के लिए करीब 20 लाख रुपए का बजट आवंटी किया गया।
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सूत्रों का कहना है कि बैरकों की मम्मत के साथ आटा चक्की मशीन पर छत डलवाने के लिए एक लाख रुपए की धनराशि अलग से आवंटित की गई। सूत्रों की माने तो बैरकों की मरम्मत के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की। मेंटिनेंस के लिए आवंटित धनराशि की वर्तमान जेल अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों ने जमकर बंदरबांट की। इससे बैरकों की स्थित जस की तस बनी रही। बीते दिनों हुई जोरदार बारिश ने जेल अधीक्षक के कराए अनुरक्षण कार्यों की पोल खोल दी। मरम्मत कार्य के बाद भी बैरकों की छतों से पानी टपकने ने अधीक्षक के कराए अनुरक्षण कार्यों की पोल खोल दी। बंदियों को बारिश के पानी से बचने के लिए इधर उधर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। बैरकों में जलभराव की वजह से बंदियों को तमाम तरह की समस्याओं से जूझना पड़ा। बताया गया है कि इस जेल में नई महिला अधीक्षक के आने के बाद से राशन कटौती, मशक्कत, बैठकी, मुलाकात के वसूली दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो गई है। उधर इस संबंध में जब आगरा परिक्षेत्र के डीआईजी पी एन पांडेय से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
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बंदियों के जेल तबादले के लिए DIG ने फिर लिखा पत्र
आगरा परिक्षेत्र के DIG के निर्देशों का परिक्षेत्र की जेलों के अधीक्षकों के लिए कोई मायने ही नहीं रह गया गया है। यही वजह है कि 07 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके सिद्धदोष बंदियों के जेल तबादले के लिए उन्हें एक बार फिर पत्र लिखकर यह निर्देश देना पड़ा कि ऐसे बंदियों को शत प्रतिशत जेल बदली जाए। DIG आगरा परिक्षेत्र पी एन पांडेय ने पहला पत्र 20 सितंबर 25 को लिखा था। इस पत्र पर अधीक्षक ने DIG को गुमराह कर चहेते बंदियों को रोक लिया। इस बाबत 22 सितंबर 25 उन्होंने परिक्षेत्र के समस्त अधीक्षकों को पत्र भेजकर ऐसे बंदियों की शत प्रतिशत जेल बदलने का निर्देश दिया है। इस निर्देश का कितना अनुपालन हो पाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इस पत्र ने यह बात तो साबित कर दी कि अधीक्षकों के लिए डीआईजी का आदेश कोई मायने नहीं रखता है।
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