हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह

राजेन्द्र गुप्ता

जयंती का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था और राक्षस हिरण्याक्ष नाम वध किया था और पृथ्वी की रक्षा की थी। वराह अवतार भगवान विष्णु का तीसरा अवतार है। इस अवतार में वह आधे मानव और आधे सूअर के रूप में है। इस साल वराह जयंती 25 अगस्त 2025 को मनाई जा रही है।

विष्णु जी के तीसरे अवतार है वराह भगवान

श्रीजयदेव गोस्वामी द्वारा रचित श्रीगीतगोविन्दम के श्री दशावतार स्तोत्र में भगवान वराह को विष्णु जी की तीसरा अवतार बताया गया है।

वराह जयंती पूजा विधि

इस दिन नित्य कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके साथ ही साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु के साथ भगवान वराह की पूजा करना आरंभ करें। सबसे पहले पुष्प के माध्यम से जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, माला, पीला चंदन चढ़ाने के साथ भोग में मिठाई, तुलसी दल आदि चढ़ा दें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत मंत्र, चालीसा कर लें और अंत में आरती कर लें। और भूल-चूक के लिए माफी मांग लें।

वराह जयंती का महत्व

वराह जयंती का त्योहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में वराह जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान वराह की पूजा करने से व्यक्ति को हर तरह की बुराईयों से निजात मिल जाती है। इसके साथ ही मन के विकार दूर होने के साथ आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।

तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार वराह जयंती 2025 की भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर के 12.35 बजे शुरू होकर 26 अगस्त की दोपहर को 1.54 बजे समाप्त हो रही है। पूजा के अति शुभ समय दोपहर के 1.40 बजे से लेकर शाम के 4.15 बजे तक होगा। इस समयावधि में भगवान विष्णु के अवतार भगवान वराह की पूजा अर्चना की जा सकती है।

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