
- खाकी की गुंडई: पुलिस की पिटाई और पैसे की मांग से आहत होकर युवक ने की खुदकुशी
- जांच के बाद एक दरोगा सहित दो पुलिसकर्मी निलंबित
- कानपुर जिले में हुई घटना का मामला
लखनऊ। सूबे के पुलिस महानिदेशक रहे प्रशांत कुमार के रिटायर्ड होने के बाद शासन ने भारतीय सेवा के 1991 बैच के वरिष्ठ अफसर राजीव कृष्ण को यूपी की कमान सौंपी। पदभार ग्रहण करने के दौरान नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण की पहली प्राथमिकता थी कि अधीनस्थ अपने व्यवहार को बदलें और जनता के साथ अच्छी तरह से पेश आएं। डीजीपी द्वारा दिए गए आदेश को अभी चंद दिनों ही बीते थे कि कानपुर जिले के सचेती थाने में तैनात एक दरोगा व सिपाही ने डीजीपी द्वारा दिए गए बयान पर पानी फेर दिया।
बताते चलें कि सचेती निवासी रमेश के बेटे जीतबहादुर और उनकी बहू के बीच बीते चार जून को किसी बात को लेकर बहस हो गई। रमेश की अपने पति जीतबहादुर के खिलाफ सचेती थाने पर प्रार्थना पत्र देकर शिकायत की।
बताया जा रहा है कि प्रार्थना पत्र मिलते ही हल्का इंचार्ज गौरव शालिया ने जीतबहादुर को बुलाया। पुलिस बुथ पर बुलाने के बाद दरोगा व सिपाही रवीश सिंह ने पति-पत्नी के बीच समझौता कराने के बजाए दोनों दागी पुलिसकर्मी जीतबहादुर के ऊपर कहर बनकर टूट पड़े। मारने पीटने के दोनों पुलिसकर्मियों ने जीतबहादुर से रूपयों की मांग की। किसी तरह दागी पुलिसकर्मियों से बचकर जीतबहादुर घर आया और कमरे में जाकर सोमवार को खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
बेटे की मौत की खबर रमेश ने पुलिस के आलाधिकारियों को दी कि पुलिस की पिटाई से आहत होकर उनके बेटे ने आत्महत्या कर ली।
डीसीपी दक्षिणी दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि इस मामले की गहनता से छानबीन की गई तो मामला सही पाए जाने पर दरोगा व सिपाही को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
गौर करें तो अभी सप्ताह भर पहले नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने अधीनस्थों को व्यवहार दुरुस्त करने की हिदायत दी थी कि वे खुद को सुधार लाएं और जनता से संवाद कर क्षेत्र में पकड़ बनाएं, लेकिन कानपुर जिले में हुई इस घटना ने डीजीपी राजीव कृष्ण द्वारा दिए गए बयान पानी फेर दिया।