
- आईपीएस अफसर से तू-तू मैं-मैं करना पड़ा भारी
- ये आम आदमी नहीं, इनसे भिड़ने का मतलब नौकरी को खतरे में डालना
- इन्हें समझो पैरासिटामोल, तुरंत बुखार उतर जाता है यही हुआ हो गए निलंबित, जांच भी शुरू
- ट्रैफिक में तैनात दरोगा आसिफ अख्तर की हकीकत
लखनऊ। आईपीएस अधिकारी से भिड़ना किसी भी दरोगा या सिपाही के लिए खतरे की घंटी हो सकती है क्योंकि आईपीएस अफसर की स्थिति ऊंची होती है और वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। बताते चलें दरोगा या सिपाही की नौकरी आईपीएस अफसर के अधीन होती है और वे उनके निर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर होते हैं।
यदि कोई दरोगा या सिपाही आईपीएस अधिकारी के साथ बहस या अभद्र व्यवहार करता है, तो उसे कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
आईपीएस अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा के सदस्य होते हैं, जो भारतीय सेवा का मानो एक अंग है, जिसमें आईएएस और आईएफएस भी शामिल हैं। आईपीएस अधिकारी जिलों में कानून व्यवस्था बनाए रखने और लोगों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्हें सभी पुलिस अधिकारियों के ऊपर अधिकार हासिल होते हैं।
इंस्पेक्टर या फिर एक इंस्पेक्टर पुलिस अधिकारी हैं जो अधिकतर थानों में काम करते हैं और पुलिस स्टेशन के कामकाज का हिस्सा होते हैं। उन्हें आईपीएस अधिकारी द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना होता है। यदि कोई दरोगा या सिपाही आईपीएस अफसर के साथ गलत व्यवहार करता है, तो उसे निलंबन, पदोन्नति में रुकावट, या यहां तक कि नौकरी से भी हटा दिया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही रिपोर्ट के मुताबिक ट्रैफिक में तैनात आसिफ अख्तर अक्सर सड़क पर चलने वाले वाहन चालकों, पैदल चलने वाले नागरिकों या फिर मीडिया कर्मियों से भीड़ रौब जमाया करते थे, लेकिन इस बार एक आईएएस अफसर से बहसबाजी करना उन्हें भारी पड़ गया। शिकायत होते ही पुलिस के जिम्मेदार अफसरों उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यही नहीं बताया जा रहा है कि ट्रैफिक के दरोगा साहब आसिफ अख्तर के खिलाफ जांच करने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि इससे पहले भी कई बार तू-तू मैं-मैं करने में इनका नाम सुर्खियों में रहा है।