चुनावी रण में केजरीवाल की मुसीबतें बढ़ाने आ रहे हैं राहुल, मोदी और योगी

अजय कुमार

लखनऊ । दिल्ली विधानसभा चुनाव की घड़ी करीब आ चुकी है और दिल्ली की सियासी जमीन पर जो हलचल मची है, वह अब किसी से छिपी नहीं है। नामांकन प्रक्रिया के बाद प्रत्याशी चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं, लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान कांग्रेस और बीजेपी के बड़े नेताओं की प्रचार रणनीतियों पर है। दोनों प्रमुख दल अपने-अपने प्रचार तीरों को निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत कर दी है, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली की सियासी आंधी में अपनी ताकत लगाने के लिए तैयार हैं। इन दोनों ही दलों के बड़े नेताओं के प्रचार से दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी होने की संभावना जताई जा रही है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पॉच फरवरी को होना है, और इसके साथ ही चुनाव प्रचार की समय सीमा भी 3 फरवरी शाम 5 बजे तक खत्म हो जाएगी। यानी चुनाव प्रचार के लिए कुल 12 दिन ही बचे हैं। ऐसे में अब चुनावी प्रचार में तेजी आ चुकी है और प्रमुख दल अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं। सबसे पहले बात करें कांग्रेस की, तो राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव में अपने अभियान को एक आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। राहुल गांधी 22 जनवरी से दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में चुनावी रैलियां करने जा रहे हैं। उन्होंने सदर बाजार विधानसभा क्षेत्र के इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन के पास पहली रैली की शुरुआत की, और इसके बाद 23 और 24 जनवरी को क्रमशः मुस्तफाबाद और मादीपुर विधानसभा क्षेत्रों में रैलियां करने का कार्यक्रम तय किया है। इस दौरान राहुल गांधी का मुख्य उद्देश्य कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाना है और दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों को घेरने की कोशिश करना है।

राहुल गांधी की इन रैलियों के अलावा कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी दिल्ली में प्रचार अभियान में सक्रिय करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस की रणनीति यह है कि वे न केवल बीजेपी को, बल्कि आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर लें। राहुल गांधी ने अपनी पहली सीलमपुर रैली में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल दोनों को निशाने पर लिया था और उन्हें दलित तथा ओबीसी विरोधी करार दिया था। यह कांग्रेस की आक्रामक रणनीति को साफ दर्शाता है, जिसमें पार्टी न केवल दिल्ली के वोटरों से जुड़ने की कोशिश कर रही है, बल्कि बीजेपी और आप दोनों को अपने-अपने चुनावी गढ़ में घेरने की योजना बना रही है।

इसके बाद बात करें बीजेपी की, तो बीजेपी ने भी दिल्ली चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने का फैसला लिया है। बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार के लिए उतारने की योजना बनाई है। मोदी और योगी दोनों के नेतृत्व में बीजेपी दिल्ली चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत से प्रचार करने जा रही है। बीजेपी ने पीएम मोदी की तीन बड़ी जनसभाओं का आयोजन किया है, जिनमें से पहली जनसभा 29 जनवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के यमुना खादर इलाके में होगी। इसके बाद 31 जनवरी को द्वारका के सेक्टर-14 में दूसरी रैली होगी और तीसरी रैली 2 फरवरी को सेंट्रल या साउथ दिल्ली में होगी।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली चुनाव प्रचार में सक्रिय होंगे। योगी आदित्यनाथ की कुल 14 जनसभाएं आयोजित की जाएंगी, जो दिल्ली के विभिन्न इलाकों में होंगी। खासकर बीजेपी की कोशिश है कि वह पूर्वांचली वोटरों को अपने साथ जोड़े, जो दिल्ली में बीजेपी का एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बन चुके हैं। बीजेपी का मानना है कि अगर वह इस समुदाय का समर्थन प्राप्त कर पाती है, तो अरविंद केजरीवाल की नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर दी जा सकती है।

बीजेपी ने न केवल प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतारा है, बल्कि पार्टी के अन्य दिग्गज नेता भी चुनाव प्रचार में सक्रिय हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सभी दिल्ली चुनाव में प्रचार करेंगे। बीजेपी का मानना है कि अरविंद केजरीवाल को घेरने के लिए ये सभी नेता एकजुट होकर उनकी कमजोरियों को उजागर करेंगे। बीजेपी के प्रचार में मोदी और योगी दोनों का एक अहम रोल है, और उनके निशाने पर इस बार अरविंद केजरीवाल होंगे।

अब बात करें आम आदमी पार्टी की, तो दिल्ली में पिछले 11 साल से केजरीवाल की सरकार चल रही है और पार्टी ने अपनी सरकार की सफलता को प्रचारित करने की पूरी योजना बनाई है। हालांकि, कांग्रेस और बीजेपी की आक्रामक रणनीतियां केजरीवाल के लिए चुनौती पैदा कर सकती हैं। कांग्रेस की रणनीति, जिसमें वह बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी को भी निशाने पर लेकर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना रही है, ने केजरीवाल के लिए समस्याएं खड़ी कर दी हैं। दिल्ली में कांग्रेस की एक मजबूत उपस्थिति रही है, और ऐसे में वह अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए बीजेपी और आप दोनों को घेरने की कोशिश कर रही है।

दिल्ली चुनाव में सियासी वातावरण अब बेहद गर्म हो चुका है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी पूरी ताकत के साथ प्रचार में जुटे हुए हैं, और यह साफ हो चुका है कि दोनों दलों की रणनीति इस चुनाव को केवल केजरीवाल तक ही सीमित नहीं रखेगी, बल्कि वे दोनों ही पक्षों से चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस का उद्देश्य है कि वह अपनी खोई हुई ताकत को फिर से हासिल कर सके, जबकि बीजेपी दिल्ली में अपने 27 साल के वनवास को खत्म करने के लिए चुनावी मैदान में है।

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