दो टूकः आखिर कैसे खड़ा हो गया सिपाही से बाबा बने हत्यारे हरि का साम्राज्य

राजेश श्रीवास्तव

बाबाओं की श्रृंखला में एक नाम और शुमार हो गया। नारायण हरि साकार। यह हत्यारा बाबा रातों-रात नहीं खड़ा हो गया कि एक दिन में इसका सौ करोड़ से अधिक का साम्राज्य खड़ा हो गया। पश्चिमी उप्र से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक की फैली उसकी जड़ों में खाद-पानी एक दिन में नहीं पड़ गया । लेकिन यह बाबा सबको फेल कर गया। इसने 123 लोगों की जान ले ली तो कई सैकड़ों लोग अभी भी घायल हैं। दिलचस्प तो यह है कि मौत का सत्संग सुनने के लिए गये लोगों की आस्था अभी भी डगमगायी नहीं है। कुछ लोग जरूर जागे हैं और विरोध कर रहे हैं लेकिन उसके लाखों अनुयायी अभी भी हरि साकार को परमात्मा मान रहे हैं जिसे उनकी मौत का दुख भी नहीं है। निर्भया के आरोपियों की पैरवी करने सरीख वकील एपी सिंह उसकी भी पैरवी में जुट गये हैं। उनकी सीख पर ही उसने दुख जताने वाला बयान जारी कर दिया। इस बाबा से ज्यादा ढोंग योगी सरकार दिखा रही है। कहा जा रहा है कि अगर जरूरत समझी जायेगी तो बाबा से पूछताछ करेंगे। जबकि सब कह रहे हैं कि बाबा ने कहा था कि जाते समय मेरी चरण रज लेकर जाना, उसके बाद ही बवाल हुआ। लेकिन बाबा कहां दोषी, उससे तो वोट मिलते हैं। बात-बात पर विरोधी ख्ोमे का घर गिराने वाले बुलडोजर का उस तरफ जाने में भी सांस फूल रही है।

हाथरस में जो कुछ हुआ, वह प्रशासन और पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही का परिणाम है। नारायण साकार उर्फ भोले बाबा जैसे लोग बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं फलते फूलते। संविधान की शपथ लेकर कुर्सी पर बैठे सरकार के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को गंभीरता से अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। वातानुकूलित गाड़ियों, बंगलों और सिर्फ दफ्तर में बैठने से देश आगे नहीं बढ़ेगा। बिना राजनीतिक संरक्षण के भोले बाबा जैसे लोग आगे नहीं बढ़ते। वोट बैंक की राजनीति में नेता भोले बाबा को चमत्कारी बताने लगते हैं। मंच पर राजनेताओं के इस प्रयास से बाबाओं के अनुयायी बहुत बढ़ने लगते हैं और बाबा बाद में मुसीबत बन जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का वीडियो वायरल हो रहा है। भोले बाबा को चमत्कारी बता रहे हैं। अब आप समझ लीजिए। जब ऐसा होगा तो तमाम अफसर बाबा की संभावित अनुकंपा पाने के लिए भी दरबार लगाएंगे।

ओहदेदारों की नीयत शक के दायरे में, स्थानीय पुलिस प्रशासन की भूमिका पर संदेह

आगरा के रामवृक्ष यादव को याद कर लीजिए। किसके संरक्षण में पले-बढ़े, फूले। जवाहर बाग को कब्जा कर लिया। अपनी पहरेदार, सेना खड़ी कर ली। उसे एक राज्यसभा सांसद का संरक्षण प्राप्त था और बाद में क्या हुआ, सब जानते हैं। इसी तरह देखते-देखते उ.प्र. पुलिस का पूर्व हेड कांस्टेबल बाबा बन गया। आश्रम बना लिया। प्रवचन देने लगा। चमत्कारी बाबा बन गया। उसकी ब्लैक, व्हाइट और पिक सेना अस्तित्व में आ गइ। प्रशासन तथा पुलिस कह रही है कि उसके सेवादार और अनुयायी पुलिस प्रशासन को आश्रम या अंदर घुसने तक नहीं देते थे। भोले बाबा अपना ही राज चला रहा था। यह कोई आज से तो चल नहीं रहा था। काफी पहले से था। बाबा अपना सत्संग कर रहा था। यह चलता रहता, लेकिन अब हाथरस का हादसा हो गया तो उसकी पोल खुल गई। ऐसा नहीं है कि यह देश का कोई पहला ऐसा बाबा है। आगरा के जवाहर बाग में रामवृक्ष यादव को भी ऐसे ही दो दिन के लिए लाया गया था और राजनीतिक संरक्षण मिलने के बाद वह अपना राज चला रहा था। कोर्ट के आदेश पर जब उस क्षेत्र को खाली कराने पुलिस प्रशासन के लोग गए तो अधिकारी तक उसके हमले का शिकार हो गए। बाबा की सुरक्षा में लगे लोगों ने गोलियां चलाईं। सब वोट बैंक का मामला है, सब कारपेट पर लोटने लगते हैं।

कैसे भोले बाबा पनपा, खड़ा हुआ? उसके अनुयायियों में जाटव समाज, यादव समेत अन्य हैं। तीन-चार राज्यों में उसके अनुयायी हैं। भोले बाबा एक कांस्टेबल था। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 2007 में मुख्यमंत्री बनी थीं। तब यह इतना बड़ा बाबा नहीं था। इसका छोटा-मोटा सत्संग का कार्यक्रम चलता रहा होगा। इसका मुख्य कार्य क्षेत्र भी मैनपुरी और उसके आस-पास रहा। बाद में 2०12-2०17 तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रहे। उस दौरान इसे फलने, फूलने, पनपने का खूब अवसर मिला। तब आर्थिक साम्राज्य कितना मजबूत हुआ होगा। सामाजिक शक्ति कितनी बढ़ी होगी। बाबा का जनाधार इतना बढ़ गया कि उसकी तारीफ में राजनीतिक दल के प्रमुख गुणगान करने लगे।

हाथरस हादसे में घोर लापरवाही हुई है। प्रशासन और पुलिस के अफसरों की लापरवाही, खुफिया तंत्र की नाकामी से इनकार नहीं किया जा सकता। आखिर बाबा इतना कैसे फला और फूला कि सिरदर्द बन गया? हाथरस में भगदड़ न मची होती, 123 के करीब लोग इसमें मारे न जाते तो बाबा अभी और फलता-फूलता। आज के अफसर अब फील्ड के अफसर नहीं रहे। धूप से खुद को बचाने में लगे रहते हैं। वातानुकूलित गाड़ियां, बंगलों और ऑफिस से बाहर नहीं निकल पाते। थोड़ा समय भी बदला है। राजनीतिक वातावरण भी इसके लिए जिम्मेदार है। आंख मूदकर एक तरफा बात करने से कोई समस्या का समाधान नहीं हो सकता। जिन अफसरों ने संविधान की शपथ ली है, उन्हें निष्पक्षता से निर्भीक होकर अपना दायित्व निभाना चाहिए।

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हादसे के एक-एक बिंदु को देखें तो चूक पर चूक हुई है। हर कदम पर खामी ही खामी है। पूरी तफ्तीश एक सेवादार आयोजक पर ठेल दी गयी। बलि का बकरा बना कर बाबा को बचा लिया गया। बाबा मस्त हैं उनको पाक-साफ साबित करने की मुहिम चल रही है।

123 लोगों के हत्यारे की सुरक्षा में पुलिस मुस्तैद है। योगी सरकार यह साबित करने में लगी है कि अखिलेश के समय यह पला और बढ़ा लेकिन भाजपा विधायक के लेटर हेड पर की गयी सिफारिश से उसको अनुमति मिली, यह बात दबायी जा रही है। पीछे जो भी हुआ हो अभी तो सरकार भाजपा की है उसको कार्रवाई करने में क्या समस्या है। मायावती ने बड़ी मांग की है सजातीय बाबा होने के बाद अपने मूल वोटर को उन्होंने आगाह किया कि ऐसे बाबाओं से सावधान रहो। उन्होंने बाबा की गिरफ्तारी की मांग करके भाजपा को खुली चुनौती दी है। इस मांग से मायावती के दोनों हाथों में लड्डू आ गये हैं। यूपी की 13 विधानसभा सीटों पर फैला बाबा का साम्राज्य बुलडोजर बाबा पर भारी पड़ता दिखायी दे रहा है। इसमें कोई संशय नहीं है।

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