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- रविन्द्र कुशवाहा की लगेगी हैट्रिक या बिखर जायेगा भाजपा का दावा
राजेश श्रीवास्तव
देवरिया और बलिया जिले के हिस्सों को जोड़कर बनाया गया है सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र. सलेमपुर आजादी से पहले तक सबसे बड़ा तहसील हुआ करता था. सलेमपुर कभी गुप्त वंश और पाल शासकों के अधीन था. कहा जाता है कि यह चारों तरफ घने जंगलों से घिरा था. इसलिए कभी मुस्लिम आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आक्रमण के लिए नहीं आ पाए. इस शहर के पास से छोटी गंडक नदी गुजरती है. बात राजनीति की करें तो यूपी का सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का किला था.आजादी के बाद हुए पहले चुनाव से लेकर 1977 तक कांग्रेस पार्टी ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.
1977 में पहली बार कांग्रेस के इस गढ़ में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 198० में कांग्रेस पार्टी ने फिर वापसी की और लगातार दो चुनाव जीता. इस तरह यहां की जनता ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को शरुआती दौर में करीब 35 साल तक यहां से जिता कर लोकसभा भेजती रही.
लेकिन 1989 में सलमेपुर की जनता ने कांग्रेस की तरफ से मुंह फ़ेर लिया. इसके बाद कांग्रेस पार्टी फिर यहां जीत नहीं दर्ज कर पाई है. कांग्रेस के अलावे यहां के लोगों ने जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, समता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सबको आजमाया. अब पिछले दो चुनाव से यहां बीजेपी जीत दर्ज कर रही है. सलेमपुर में वर्तमान सांसद बीजेपी के रवीन्द्र कुशवाहा हैं.
2०19 में बीजेपी की लगातार दूसरी जीत
2०19 लोकसभा चुनाव में रवीन्द्र कुशवाहा ने सपा बसपा के उम्मीदवार संयुक्त प्रत्याशी आरएस कुशवाहा को 1,12,615 वोटों से हराया है. रवीन्द्र कुशवाहा को 467,94० वोट जबकि बसपा के आरएस कुशवाहा को 3,55,325 वोट मिले थे. जबकि तीसरे स्थान पर रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राजा राम को 33,568 वोट मिले थे. इससे पहले 2०14 में रवीन्द्र कुशवाहा ने बीएसपी के रविशंकर सिह (पप्पू) को 2,32,342 वोटों से हराया था. रवीन्द्र कुशवाहा को 3,92,213 वोट जबकि बीएसपी उम्मीदवार को 1,59,871 वोट मिले थे. सपा के हरिवंश सहाय कुशवाहा को हरिबंश सहाय 1,59,688 तो वहीं ओम प्रकाश राजभर के उम्मीदवार को 66,०84 वोट मिले थे. कांग्रेस पार्टी यहां पांचवे स्थान पर रही थी.
सलेमपुर का राजनीतिक इतिहास
सलेमपुर में हुए शुरुआती 5 चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है. यहां के पहले सांसद कांग्रेस के बिश्वनाथ रॉय थे. इसके बाद 1962 और 1967 में विश्वनाथ पांडे ने जीत दर्ज की. 1971 में तारकेश्वर पांडे ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के रामनरेश कुशवाहा जीत दर्ज करने में कामयाब हुए. फिर 198० और 1984 में कांग्रेस पार्टी के राम नगीना मिश्र, 1989 और 1991 में जनता दल के हरि केवल प्रसाद. 1996 में हरिवंश सहाय, 1998 में समता पार्टी से हरिकेवल प्रसाद, 1999 में बीएसपी से बब्बन राजभर. 2००4 में सपा से हरि केवल प्रसाद. 2००9 में बीएसपी से रमाशंकर राजभर और 2०14 और 2०19 में बीजेपी के रवीन्द्र कुशवाहा ने जीत दर्ज की है.
सलेमपुर का वोट गणित
सलेमपुर लोकसभा में बलिया जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र बेल्थरारोड बांसडीह और सिकंदरपुर जबकि देवरिया जिले का सलेमपुर और भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र इसके अन्तर्गत है. ग्रामीण संसदीय क्षेत्र सलेमपुर में गेहूं, धान, गन्ना, सरसों, आलू, फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, बैंगन की अच्छी खेती होती है. सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र की 8० प्रतिशत आबादी सामान्य वर्ग के लोगों की है जबकि 16 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति हैं. चार प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है. धार्मिक आधार पर देखा जाए तो हिदुओं की आबादी 86.2 प्रतिशत है तो वहीं 13.5 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी है. सलेमपुर में कुल 16,67,282 मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 7,57,2०7 है जबकि महिला वोटर 9,1०,०15 है. थर्ड जेंडर निर्वाचक की संख्या यहां 6० है. 2०19 में यहां कुल मतदान प्रतिशत 55.33% था.
बिहार बॉर्डर से सटी सलेमपुर संसदीय सीट कहने को तो देवरिया जिले में आती है लेकिन इस सीट पर जीत-हार का फैसला बलिया वाले करते हैं। वजह यह कि इस सीट की तीन विधानसभा बलिया जिले में है। दिलचस्प पहलू यह है कि तीन विधानसभा क्षेत्र बलिया में होने के बावजूद अपवाद को छोड़कर अब तक जितने भी सांसद हुए हैं, वे देवरिया के ही रहने वाले रहे हैं। मतलब बिल्कुल साफ है, भले ही बलिया वालों का वोट निर्णायक होता हो मगर दबदबा देवरिया जिले का ही रहा है। सलेमपुर की यह वह सीट है जिसपर कभी समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र भी चुनाव लड़ चुके हैं।
देवरिया जिले की सलेमपुर लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी। यह सीट कभी कांग्रेस और सोशलिस्टों का गढ़ मानी जाती थी। 199० में मंडल और कमंडल की राजनीति में कांग्रेस का यहां से सफाया हो गया। 2०14 से यहां लगातार भाजपा जीत रही है। अब तक के चुनाव में यहां छह बार कांग्रेस दो बार भाजपा, दो बार बसपा, दो बार जनता दल दो बार समाजवादी पार्टी और बाकी सोशलिस्टों ने जीत हासिल की है। 2०14 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां चौथे स्थान पर पहुंच गई।
साल 2०14 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का यहां पहली बार खाता खुला था और रविद्र कुशवाहा 5०% से अधिक वोट पाकर भारी मतों से चुनाव जीते थे। 2०19 में भाजपा ने यह सीट बरकरार रखी और रविद्र कुशवाहा दूसरी बार भी भारी मतों से चुनाव जीते। इस बार भी भाजपा ने रविद्र कुशवाहा को ही उम्मीदवार बनाया है। रविद्र कुशवाहा के पिता हरिकेवल प्रसाद भी विभिन्न दलों से यहां से चार बार सांसद रह चुके हैं। सपा ने पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर को उम्मीदवार बनाया है। रमाशंकर राजभर 2००9 में बसपा से सांसद रहे हैं। बाद में उन्होंने सपा जॉइन कर ली।
सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें हैं, इसमें सलेमपुर, भाटपार रानी विधानसभा सीट देवरिया जिले में व बेल्थरा रोड, सिकंदरपुर और बांसडीह विधानसभा क्षेत्र बलिया जिले में हैं। इन पांचों विधानसभा सीटों में बेल्थरा रोड सीट सुभासपा और सिकंदरपुर विधानसभा सीट सपा के पास है जबकि भाटपार रानी, सलेमपुर और बांसडीह विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक हैं। सलेमपुर लोकसभा सीट पिछड़ा बहुल सीट है।
पिछड़ी जाति खासकर कुर्मी कुशवाहा के मतदाताओं की संख्या अधिक है। एक अनुमान के मुताबिक यहां 15% ब्राह्मण, 18% कुर्मी, मौर्य, कुशवाहा, 14% राजभर, 15% अनुसूचित जाति, 2% यादव, 4% क्षत्रिय, 13% अल्पसंख्यक जाति के मतदाता है। जबकि लगभग 4% वैश्य, 2% कायस्थ, 2% सैंथवार और 4% निषाद व बाकी अन्य जाति के मतदाता है।
जनेश्वर मिश्र को भी मिली है हार
1991 के लोकसभा चुनाव में छोटे लोहिया के नाम से मशहूर समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र भी यहां से समाजवादी जनता पार्टी की टिकट पर मैदान में थे। जनेश्वर मिश्र के चुनाव लड़ने की वजह से 1991 के चुनाव में सलेमपुर सीट खास चर्चा में थी। वीपी सिह के नेतृत्व वाली जनता दल से हरिकेवल प्रसाद मैदान में थे। हरिकेवल प्रसाद चुनाव जीत गए और जनेश्वर मिश्र को हार का सामना करना पड़ा था।