ध्रुवीकरण से ही तय होगी हार-जीत
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। यूपी में लोकसभा चुनाव पहले चरण में आठ सीटों पर शुक्रवार को मतदान होगा। उत्तर प्रदेश की पश्चिमी लोकसभा सीट पर इस बार हार-जीत के समीकरण ध्रुवीकरण से ही तय होगा। मुस्लिम की बहुलता के कारण उनके रूख़ पर सबकी नजरें हैं। सपा, कांग्रेस, आरएलडी सहित महागठबंधन के दलों ने कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारा है जो मतदाताओं को जोड़कर जीत की राह देख रहे हैं।
जानकारों की मानें तो वहीं भगवा खेमे की नज़र मुस्लिम वोटों के बंटवारे पर है। भाजपा इसके साथ ही ध्रुवीकरण से सीट पर कब्जा बरकरार रखने की आस लगाए हुए है।
चुनाव में पक रही जातीय समीकरणों की खिचड़ी…
पीलीभीत, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद व रामपुर एक विशेष समुदाय का गढ़ हमेशा माना जाता है। यह लोकसभा क्षेत्र में सियासी जंग रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है। विधानसभा चुनाव की तरह मुस्लिम बहुलता क्षेत्र में मजबूत प्रत्याशी मैदान में उतारकर महागठबंधन की बेचैनी बढ़ा दी है, जबकि महागठबंधन भी जीत हासिल करने के लिए एड़ी से चोटी तक जोर लगा दिया है।
लेकिन जानकारों की मानें तो अबकी बार नज़ारा कुछ और ही देखने को मिलेगा। दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जातियों की बहुलता वाले सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद और रामपुर लोकसभा क्षेत्र में टिकटों के ऐलान के पहले से ही सियासी तपिश काफी बढ़ गई थी।
सपा के गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती…
पिछले पांच साल पहले तक बहुलता क्षेत्र सपा का गढ़ मानी जाती है। पिछले लोकसभा चुनाव से हुएं चुनावों में पश्चिमी बहुलता क्षेत्र में लगातार सपा का कब्जा रहने से इस तर्क को मजबूत आधार भी मिलता रहा, विधानसभा चुनाव में सपा को पटखनी लग गई थी।