डुमरियागंज: इंडिया एलायंस के हाथ अच्छा अवसर वशर्ते उम्मीदवार ब्राह्मण हो

राजीव शुक्ला

सिद्धार्थनगर। भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की है, उसमें हड़बड़ाहट साफ झलक रहा है। इसमें डुमरियागंज सीट को उदाहरण के रूप में लिया जा सकता है। जगदंबिका पाल यहां से तीन बार से सांसद हैं जिसमें एक कार्यकाल उनका कांग्रेस सांसद के रूप में भी था। भाजपा ने तय किया था कि 70 पार वालों को टिकट नहीं मिलेगा। जगदंबिका पाल तो 75 के करीब हैं। क्षेत्र में सतीश द्विवेदी और राघवेन्द्र सिंह जैसे भाजपा के युवा नेताओं के टिकट मिलने की चर्चा थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ठीक है जगदंबिका पाल तो टिकट ले आए लेकिन इस बार उन्हें अपने ही दल में भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा। उनके खिलाफ संसदीय क्षेत्र के लगभग सभी वर्तमान और पूर्व विधायक खम ठोक कर बैठे हैं।

इतना ही नहीं डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र शायद यूपी का अकेला क्षेत्र होगा जहां से जुड़े विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशियों ने भाजपा नेतृत्व को खुला खत लिखकर जानकारी दी थी कि जगदंबिका पाल ने विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को हराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ा था। डुमरियागंज और इटवा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों की हार का ठीकरा खुल्लम खुल्ला उनके ऊपर ही फोड़ा गया। जगदंबिका पाल को लेकर क्षेत्र में भारी असंतोष के बीच यहां इंडिया गठबंधन के हाथ अच्छा अवसर है। भाजपा के असंतुष्ट लोग इस चुनाव में निश्चित ही वही करने को फांड़ कसे बैठे हैं जो पाल ने उनके साथ किया है या करते रहे हैं। ऐसे में विपक्षी गठबंधन को भी चाहिए कि वह डुमरियागंज को ऐसा उम्मीदवार दे जो भाजपा के असंतुष्ट नेताओं का फायदा उठा पाए।

बता दें कि यह सीट अभी सपा के हिस्से में है। यहां से कांग्रेस भी दावा ठोक रही है। 11 ता.को सपा और कांग्रेस के शीर्ष नेता इस विषय पर चर्चा करने के लिए एक बार और बैठेंगे। इस ता.की बैठक में ज्यादा संभावना है कि डुमरियागंज कांग्रेस को मिल जाए और महराजगंज सपा को दे दी जाए। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस को चाहिए कि वह किसी स्वीकार्य ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाए। क्योंकि इस क्षेत्र में बैकवर्ड और मुस्लिम का स्कोप खत्म हो चुका है। कांग्रेस के तरफ मुखातिब हो रहे मुस्लिम खुद चाहते हैं कि कांग्रेस का कोई ऐसा ब्राह्मण उम्मीदवार हो जो अपने जाति के अधिक से अधिक वोटों को ले पाए ताकि उन वोटरों के साथ मुस्लिम वोटर जुड़ कर भाजपा को हरा ले जायें। यहां भाजपा और खासकर जगदंबिका पाल को हराने के लिए मुस्लिम वोटर तैयार बैठा है लेकिन यह तभी संभव है जब कांग्रेस और सपा मिलकर किसी ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाए।

हो सकता है सीट मिलने की दशा में कांग्रेस भी यही सोच रही हो और उसने अपने हिसाब से किसी ब्राह्मण को तजबीज भी रखा हो लेकिन क्षेत्र से जो आवाज उठ रही है वह पुराने और निष्ठावान कांग्रेस नेता नर्वदेश्वर शुक्ल के नाम की है। नर्वदेश्वर शुक्ल का कांग्रेस की राजनीति में लंबा इतिहास रहा है। आज जब गांधी परिवार के निकट के ही एक से एक कांग्रेस नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं,ऐसी विपरीत परिस्थिति में भी नर्वदेश्वर शुक्ल की डुमरियागंज में कांग्रेस जिंदाबाद कहने वाले कांग्रेस नेता की छवि है। वे तीन बार विधानसभा और एक बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। यद्यपि कि वे कोई चुनाव जीत नहीं पाए लेकिन भाजपा की या तो जमानत जब्त हुई या वह तीसरे नंबर पर रही। क्षेत्र और भाजपा के असंतुष्टों का मूड देखकर निश्चित ही यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस को अपने इस पुराने और वफादार सिपाही पर दांव जरूर लगाना चाहिए। वेशक डुमरियागंज मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है लेकिन यहां गिनती के दूसरे नंबर पर ब्राह्मण ही है। इस क्षेत्र की खास बात यह भी है कि यहां मुसलमानों को कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार को वोट देने में परहेज भी नहीं रहता और ऐसा ही ब्राह्मण भी करते हैं। वक्त जरूर लंबा है लेकिन कालांतर में पंडित केशव देव मालवीय और काजी जलील अब्बासी को उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है। दोनों ही कांग्रेस के मरहूम नेता इस क्षेत्र से ब्राह्मण और मुस्लिम वोट से ही चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार के चुनाव में ऐसा ही इतिहास बनने के आसार काफी हैं बसर्त उम्मीदवार इन दोनों वोटरों के माफिक हो।

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