महिला पर बलात्कार का मुकदमा दर्ज हो या नहीं, सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह जांच करेगा कि किसी महिला को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के तहत बलात्कार के मामले में आरोपी बनाया जा सकता है या नहीं। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने 61 वर्षीया एक विधवा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर संदेह व्यक्त किया कि क्या किसी महिला पर बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है। वैसे, पीठ ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि उसके अनुसार केवल एक पुरुष पर ही बलात्कार का आरोप लगाया जा सकता है।

याचिकाकर्ता विधवा की अग्रिम जमानत याचिका में दावा किया गया था कि उसे उसके बेटे के खिलाफ दायर झूठे बलात्कार मामले में फंसाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील ऋषि मल्होत्रा ​​ने कहा कि महिला पर कभी भी बलात्कार का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रिया पटेल मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि एक महिला को सामूहिक बलात्कार के मामलों में सामान्य इरादे साझा करने के लिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि महिलाओं को बलात्कार की परिभाषा से अलग रखा गया है। शीर्ष अदालत ने महिला की याचिका पर नोटिस जारी किया और उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का भी आदेश दिया।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 भारतीय कानून के तहत ‘बलात्कार’ के अपराध को परिभाषित करती है। उक्त प्रावधान अपराधी के रूप में एक ‘पुरुष’ (एक पुरुष को ‘बलात्कार’ करने का आरोप लगाया जा सकता है यदि वह …’) के संदर्भ से शुरू होता है, जिसका अर्थ है कि आमतौर पर केवल पुरुषों पर ही बलात्कार के अपराध के लिए मामला दर्ज किया जा सकता है। याचिकाकर्ता को पंजाब की निचली अदालत ने गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था और उच्च न्यायालय ने भी उन्हें कोई राहत दी थी। विधवा महिला के खिलाफ मामला तब दर्ज किया गया था, जब उसने अमेरिका में रहने वाले अपने बड़े बेटे की शिकायतकर्ता से शादी करने से इनकार कर दिया था, जो फेसबुक के माध्यम से उससे मिली थी। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसने याचिकाकर्ता के बेटे से वीडियो कॉल पर शादी की थी। वह महिला के साथ रहने लगी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चूंकि उसके परिवार के सदस्यों ने उस पर अनौपचारिक विवाह व्यवस्था को खत्म करने का दबाव डाला, इसलिए उसके और छोटे बेटे के खिलाफ झूठा बलात्कार दर्ज किया गया। उसने समझौते के तहत शिकायतकर्ता को 11 लाख रुपये सौंपने का भी दावा किया। (वार्ता)

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