अपना सौंवा जन्मदिन मना रहे हैं आज (20 अक्टूबर 2023) केरल के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट नेता वीएस अच्युतानंदन। प्रमुदित हैं, पर संतप्त ज्यादा। कारण? केरल के इस श्रेष्ठतम नैतिक और ईमानदार मुख्यमंत्री को ग्लानि है कि उनकी पार्टी ने एक अत्यंत विवादित और विविध जांच एजेंसियों के आरोपी पिनरायी विजयन को दोबारा केरल का मुख्यमंत्री बनवाया है। विजयन को अजित कुमार डोभाल, आईपीएस (प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार) गहरायी से जानते है। तब (1971—72) में केरल के थालेसेरी में पुलिस अधीक्षक डोभाल थे। सांप्रदायिक दंगों में पुलिस ने विजयन को दौड़ाया था। फिर गुंडा एक्ट के तहत कैद किया था। मगर हिरासत में डोभाल ने इतना धमकाया था कि विजयन को लुंगी बदलनी पड़ी।
विजयन पर चर्चा अच्युतानंदन के संदर्भ में ही भली लगती है। बात 2006 विधानसभा निर्वाचन की है। तब विजयन ने अच्युतानंदन का टिकट ही काट दिया था। आखिरी वक्त पर माकपा नेतृत्व ने तेवर ढीले किये। अच्युतानंदन को पार्टी ने टिकट दे दिया, क्योंकि काडर सड़क पर उतर आया था। जनवादी संघर्ष था। वर्ना माकपा नेतृत्व अपने ही मुख्यमंत्री को विधानसभा से भी बाहर कर डालती। यह बात तय थी जो चुनाव परिणामों से भी साबित हो गई कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री को साजिशन टिकट न देते तो वाममोर्चा को जो 64 सीटें मिली हैं, घट कर पचास ही रह जाती। अच्युतानंदन का निजी प्रभाव था जो उन्होंने वाममोर्चा की लाज बचा ली। जिता दिया।
आखिर कौन है ये अच्युतानंदन ? सत्तासी वर्षीय वेलिक्काकथु शंकरन अच्युतानंदन नितान्त नेक और नैतिक व्यक्ति हैं। अस्सी सालों से कम्युनिस्ट हैं, सत्रह की किशोरावस्था में पार्टी के सदस्य बन गये थे। आज के नवउदारवादी दौर में भी उनकी अक्षुण्ण अवधारणा है कि कम्युनिस्ट को भ्रष्टाचारी नहीं होना चाहिए। मगर अच्युतानंदन की तुलना में माकपा नेतृत्व के मनपसन्द और प्रीतिपात्र है केरल इकाई के पिनरायी विजयन। इस मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव (आईएएस) कैद हुए हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय साउदी अरब से सोना की तस्करी करता था। सीबीआई की अदालत में चार अरब रूपये के गबन के मुकदमें में भी वे आरोपी हैं। प्रकाश करात तथा सीताराम येचुरी विजयन को तरजीह देते हैं क्योंकि सर्वहाराओं की पार्टी को उन्होंने मालामाल बना दिया है। भारी भरकम बैंक बैलेंस, बड़े होटल और मनोरंजन रिसार्ट, कई विशाल भूखण्ड तथा बहुमंजलीय इमारतें, दो टीवी नेटवर्क, बहुसंस्करणीय दैनिक, आलीशन निजी आवासीय बंगले आदि के खरबों की सम्पति की स्वामिनी आज केरल माकपा है। जनसाधारण की ज्वलन्त समस्याओं पर गहन मंथन माकपा सागरतटीय पंचसितारा होटलों में आयोजित करती है। संयोजक विजयन होते हैं। मगर ऐसी सम्पन्नता ने माकपा को विपन्न बना दिया था। गत लोकसभा चुनाव में वह कई सीटें हार गई।
अच्युतानंदन ने वैज्ञानिक अनुसंधान, सूचना तकनीक, पर्यावरण अध्ययन, शोध संस्थान का विभाग संभालते हुये केरल के शैक्षिक माहौल को सुधारा हैं। वे स्वयं नारियल की जटा से रस्सी बनाने के उद्योग में मजदूरी करते थे। श्रमिकों और वंचितों के बीच से उठे व्यक्ति का उनके प्रति संवेदनशील होना स्वभाविक है। इसी कारण से वे जनाधार वाले श्रमिक नेता भी बने और मार्क्सवादी सेन्टर फार इंडियन ट्रेड यूनियन (सीट) के पदाधिकारी भी थे। कुछ विशिष्टतायें है उनमें जो कई माकपाइयों में नज़र नहीं आतीं। एक समय जब पश्चिम बंगाल के माकपाई मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य सिंगूर और नन्दीग्राम की उपजाऊ जमीन से किसानों को बेदखल कर उद्योपतियों को दे रहे थे तो अच्युतानंदन ने केरल के मुन्नार क्षेत्र से टाटा टी कम्पनी का कब्जा हटवाया। इस कृषिभूमि पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियां कब्जियाकर रिजार्ट और होटल बनवा रही थी। दो समकालीन माकपाई मुख्यमंत्रियों की जनपक्षधर सोच में कितना ध्रुवीय फर्क दिखा। अद्भुत काम कर दिखाया अच्युतानंदन ने जो अनीश्वरवादी कम्युनिस्ट कभी न करता। वे पहले मार्क्सवादी है जो 30 दिसंबर 2007 को आठ सदी पुराने शबरीमलाई के वैष्णव मन्दिर की ऊंची पहाड़ी पर चढ़कर दर्शन करने गये। उनके निजी डाक्टर तंग आ गये थे कि पचासी साल का यह वृद्ध वापस लौट भी पाएगा ? वे सकुशल लौटे। आज सेंचुरी मना रहे हैं।
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी #सीनियर_सिटिजन शब्द आज का आदर सूचक शब्द है। क्यों कि हम वृद्ध कहलाना पसंद नहीं करते। बाल रंगा लें,नया दांत लगवा लें। हृदय की धड़कन चलती रहे अत; रिंग डलवा ले या पेसमेकर लगवा लें। झुर्रियो को ढकने के तरह तरह के रंग रोगन लगा लें। बेहतरीन फोटो अलग अलग पोज […]
एकोऽहम्_बहुस्याम् अपने का बिस्तार.. और समेटने का गुर। यही है -हरि का अनुग्रह तेरा तुझको अर्पण शिशु के जन्म होने के बाद पढ़ाते लिखाते अपनी संतान को बढ़ते देख मां बाप कितने प्रसन्न होते हैं। इसी तरह आपको जन्म के बाद पालन पोषण करते आपके माता -पिता ,भाई- बहन प्रसन्न होते रहे। युवावस्था होते […]
के. विक्रम राव लंदन का 168 वर्ष पुराना मशहूर दैनिक “दि डेली टेलीग्राफ” शायद इतिहास के पन्नों में समा जाए। हालांकि यह सत्तारूढ़ ऋषि सुनक के कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थक है। इसीलिए इसकी विश्वसनीयता पर शक करते हुये लोग इसे “टोरीग्राफ” दैनिक कहते हैं। टोरी मतलब मध्यमार्गी। इसके संवाददाताओं में प्रधानमंत्री रहे सर विंस्टन चर्चिल […]