शास्त्रों के अनुसार इन छह कारणों से जल्द होती है मौत

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


हर व्यक्ति अपने जन्म के साथ ही मृत्यु की तारीख भी लिखवाकर आता है। लेकिन पुराणों के मुताबिक व्यक्ति अपने कर्मों से मृत्यु को टाल सकता है। यानी की अपनी उम्र बढ़ा सकता है और घटा भी सकता है। इसका मतलब यह है कि कर्मों के मुताबिक व्यक्ति को आयु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और मृत्यु का शाप पाकर पहले मर भी सकता है। तो आइए जानते हैं किस तरह के कर्मों से व्यक्ति की मौत जल्द होती है।

महाभारत के उद्योगपर्व में धृतराष्ट्र महात्मा विदुर से सवाल पूछते हैं कि जब सभी वेदों में मनुष्य को सौ वर्ष की आयु वाला बताया गया है तब वह किस कारण से अपनी पूर्ण आयु को भोग नहीं पाता। ‘शतायुरुक्ता पुरूषः सर्ववेदेषु वै यदा। नाप्नोत्यथ च तत् सर्वमायुः केनेह हेतुना।। धृतराष्ट्र के प्रश्नों का जवाब देते हुए विदुर जी वह छह कारण बताते हैं जिससे मनुष्य अपनी पूर्णायु को नहीं भोग पाता है।

विदुर जी कहते हैं मनुष्य की उम्र को काटने वाला पहला तलवार अभिमान है। अभिमानी मनुष्य अपने को सबसे बड़ा मानकर बड़ों का भी अनादर करने लगता है। अपने अभिमानी स्वभाव के कारण वह भगवान का प्रिय नहीं रह जाता और भगवान उसकी उम्र कम कर देते हैं। अधिक बोलने की आदत भी उम्र को कम करता है। इसकी वजह यह बतायी गई है कि ज्यादा बोलने वाले व्यक्ति का अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं रहता है और वह किसी को कुछ भी कह सकता है ऐसे में कई बार वह लोगों का दिल दुखाता है। अधिक बोलने वाले व्यक्ति झूठ भी बोलने लगते हैं। इस कारण से उनकी आयु कम हो जाती है।

त्याग की कमी। रावण और दुर्योधन इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। इन दोनों में त्याग की कमी थी इस कारण से ही इन्हें युद्ध करना पड़ा और मारे गए। क्रोध को उम्र कम करने वाला चौथा कारण माना गया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को नर्क में पहुंचाने के लिए अकेला क्रोध ही काफी है क्योंकि क्रोध में मनुष्य उचित -अनुचित भूलकर कुछ ऐसा कर बैठता है जो उसका ही अहित कर देता है।

उम्र को काटने वाला पांचवा तलवार स्वार्थ है। विदुर जी कहते हैं कि स्वार्थ में मनुष्य बड़े से बड़ा पाप करने में लज्जा का अनुभव नहीं करता है। स्त्री, धन और जमीन इन स्वार्थों की पूर्ति के लिए लोग युद्ध के मैदान में पहुंच जाते है और जीवन का अंत कर लेते हैं। महाभारत इस बात का उदाहरण है। छठा कारण है मित्रों के साथ धोखा और बेईमानी। शास्त्रों में दोस्तों के साथ धोखा करने वाले को अधम यानी नीच मनुष्य कहा गया है। ऐसे मनुष्य पर यमराज बहुत क्रोधित होते हैं और इन्हें कठोर दंड देते हैं।

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