भारत-नेपाल सीमा पर खराब नेटवर्किंग से फंस रहा डिजिटल पेमेंट

व्यापार और आयात निर्यात प्रभावित, सरकारी राजस्व का भारी नुक्सान


उमेश तिवारी


नौतनवा /महराजगंज। आज एक ओर जहां पूरी दुनिया में डिजिटल लेनदेन को लेकर भारत का डंका भले बज रहा हो, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय महत्व के सीमाई कस्बे सोनौली में हर तरह का लेनदेन कैश में ही हो रहा है। नेटवर्क न होने के कारण डिजिटल लेनदेन चाहकर भी लोग नहीं कर पाते। जबकि इस बॉर्डर पर रोज डेढ़ से दो करोड़ रुपये का लेनदेन नकदी में हो रहा है। परेशान व्यापारी नेटवर्क समस्या को लेकर जिम्मेदारों को सैकड़ों पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं हो पा रहा है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते फरवरी महीने में डिजिटल भुगतान उत्सव का शुभारंभ किया था। लेकिन दूर संचार कंपनियों के नेटवर्क प्राब्लम से डिजिटल पेमेंट सोनौली बॉर्डर पर सपना ही बना हुआ है।  सोनौली के व्यापारी मोहन शेरवानी, भोला शर्मा व संतोष चोखानी का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क यहां नहीं रहता। बहुत दुकानदारों को मजबूरी में वाईफाई लगवाना पड़ा है, लेकिन नेटवर्क की कमी के कारण ऑनलाइन बैंकिंग व डिजिटल भुगतान में बहुत परेशानी होती है। लोगों को कैश से ही काम चलाना होता है। समाजसेवी सोनू गुप्ता कहते हैं कि रोज अनेक प्रांतों से भारतीय पर्यटक यहां आते हैं। नेटवर्क की कमी के कारण न मोबाइल चलता और न ही डिजिटल भुगतान हो पाता। इससे पर्यटकों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

बैंक में नेटबैंकिंग के कस्टमर कम

भारतीय स्टेट बैंक के मैनेजर भूपेंद्र नाथ मिश्रा ने बताया नेटवर्क और बिजली के प्रॉब्लम के कारण कुछ खातेदार नेट बैंकिंग करते हैं। वह भी जिन्होंने वाई फाई लगाया हुआ है। बैंक में नेट बैंकिंग के कस्टमर कम हैं। बाजार हमेशा प्रभावित होता है। व्यापार मंडल नौतनवा तहसील अध्यक्ष सुभाष जायसवाल कहते हैं कि सीमा पर ज्यादातर नेपाली ग्राहक आते हैं। रोजाना सीमावर्ती बाजारों में करोड़ों का कारोबार होता है। नेपाली एप से भारतीय खातों में पैसा ट्रांसफर की सुविधा न होने के कारण बाजार प्रभावित होता है। दोनों देशों की सरकारों को डिजिटल पेमेंट की सुविधा मुहैया करानी चाहिए ताकि एक-दूसरे देश में अगला कैशलेस लेनदेन हो सके।

भारतीय पर्यटकों को सबसे अधिक मुसीबत

सोनौली टूर एंड ट्रैवेल के आमिर खान ने बताया कि भारतीय पर्यटकों को सबसे ज्यादा सीमा पर परेशानी होती है। यहां पर नेटवर्क के कारण पेटीएम, गूगल पे कुछ भी नहीं चलता, जिस कारण खरीदारी कैश से करनी होती है। खराब नेटवर्क के वजह से कस्टम विभाग से जुड़े आयात और निर्यात के काम में भी काफी बाधा आ रही है। जिससे सरकारी राजस्व का भी काफी नुकसान हो रहा है।

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